सोमवार, फ़रवरी 27, 2012

देव जीवन से अधिक कुछ नहीं देते

ला ल्युनेत द'आप्रोश, रने माग्रीत
La Lunette d'Approche, Rene Magritte
देव जीवन से अधिक कुछ नहीं देते,
तो जो हमें आह्लादित करता है,
अनंत परन्तु अपुष्पित
जो उठा देता है विस्मयकारी ऊंचाइयों तक,
चलो उसे चाहना छोड़ दें.
स्वीकार करना -- बस केवल यही हो हमारा ज्ञान,
और जब तक है हमारी धमनियों में रक्त का प्रवाह,
जब तक प्यार कुम्हला नहीं जाता,
चलो यूँ ही चलते रहें
कांच के टुकड़ों की तरह: रोशनी में पारदर्शी,
टपकती उदास बारिश से टप-टपाते,
धूप में गुनगुने होते,
और करते थोडा-थोडा प्रतिबिंबित.


-- फेर्नान्दो पेस्सोआ ( रिकार्दो रेइस)


 फेर्नान्दो पेस्सोआ ( Fernando Pessoa )20 वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के महानतम कवियों में उनकी गिनती होती है. यह कविता उन्होंने रिकार्दो रेइस ( Ricardo Reis )के झूठे नाम से लिखी थी. अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने 72 झूठे नामों या हेट्रोनिम् की आड़ से सृजन किया, जिन में से तीन प्रमुख थे. और हैरानी की बात तो यह है की इन सभी हेट्रोनिम् या झूठे नामों की अपनी अलग  जीवनी, दर्शन, स्वभाव, रूप-रंग व लेखन शैली थी. पेस्सोआ  के जीतेजी उनकी एक ही किताब प्रकाशित हुई. मगर उनकी मृत्यु के बाद, एक पुराने ट्रंक से उनके द्वारा लिखे 25000 से भी अधिक पन्ने  मिले, जो उन्होंने अपने अलग-अलग नामों से लिखे थे. पुर्तगाल की नैशनल लाइब्रेरी में इनके सम्पादन का काम आज भी जारी है. यह कविता उनके संकलन 'ओड्ज़' से है.
इस कविता का मूल पोर्त्युगीज़ से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़