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शुगर बोल, पिएर-ओग्यूस्त र्नोआ Sugar Bowl, Pierre-Auguste Renoir |
होने के बाद पढ़ने के लिए आनंद का पाठ.
भारत के पर्वतों के उन पंछियों जैसे हैं हम.
मैं एक विधवा हूँ और मेरा बच्चा ही है
मेरे जीवन का एकलौता आनंद.
अपने चींटी जैसे सर में जो एक बात मैं रखता हूँ
वह है चीनी के महल की बनावट का नक्शा.
कितना आनंद है चुराने में चीनी का एक दाना!
एक पंछी की तरह, अँधेरे से उड़ कर जाते हैं
महल के बड़े कक्ष में, जो गायन से जगमग है,
और फिर उड़ कर बाहर आ जाते हैं.
बड़े कक्ष की गर्माहट से निकाला जाना
भी एक आनंद है.
मैं ढीला हूँ, आलसी हूँ, और हूँ मूर्ख. मगर मुझे
उन लोगों के बारे में पढ़ना अच्छा लगता है
जिन्होंने पाई थी एक झलक उस चेहरे की,
और ख़ुशी से मर गए थे बीस साल बाद.
तुम्हारे कहे का, कि मैं जल्द ही मर जाऊंगा,
बुरा नहीं मानता. जल्द ही,
इन शब्दों के स्वर में भी मैं सुनता हूँ शब्द 'तुम',
जिस से आरम्भ होता है हर आनंद भरा वाक्य.
"तुम चोर हो" न्यायाधीश ने कहा. "दिखाओ
अपने हाथ!" मैंने दिखाए अपने छालों-भरे हाथ अदालत में.
मेरा दण्ड था आनंद के एक हज़ार साल.
--- रोबर्ट ब्लाए

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़