शुक्रवार, नवंबर 30, 2012

मार्ग के चिन्ह

द बीच एट थ्रूवील एट लो टाइड, गुस्ताव कूर्बे
The Beach at Trouville at Low Tide, Gustave Courbet

सूर्यास्त की पहली लाली की छुअन
लिए कुछ बादलों के नीचे से
एक श्वेत गंगाचील पुकारती हुई
उड़ जाती है सांध्य आकाश के पार
जब कि समुद्र का ज्वार उतरता जा रहा है
दिन भर उतरता है दक्षिण की ओर
छह माह हो गए
तुम्हें गए
और फिर वह गंगाचील भी चली गई
और केवल बादल हैं यहाँ
और हैं उतरते ज्वार के स्वर


-- डब्ल्यू एस मर्विन 



W.S. Merwin डब्ल्यू एस मर्विन ( W S Merwin )अमरीकी कवि हैं व इन दिनों अमरीका के पोएट लॉरीअट भी हैं.उनकी कविताओं, अनुवादों व लेखों के 30 से अधिक संकलन प्रकाशित हो चुके हैं .उन्होंने दूसरी भाषाओँ के प्रमुख कवियों के संकलन, अंग्रेजी में खूब अनूदित किये हैं, व अपनी कविताओं का भी स्वयं ही दूसरी भाषाओँ में अनुवाद किया है.अपनी कविताओं के लिए उन्हें अन्य सम्मानों सहित पुलित्ज़र प्राइज़ भी मिल चुका है.वे अधिकतर बिना विराम आदि चिन्हों के मुक्त छंद में कविता लिखते हैं.यह कविता उनके संकलन 'द शैडो ऑफ़ सिरिअस ' से है.


इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

बुधवार, नवंबर 28, 2012

शायद

फारेस्ट, इवान शिशकिन
Forest, Ivan Shishkin
हालाँकि खून नहीं बह रहा है -- शायद मैं घायल हूँ,
तुम्हारे जीवन की किरणों में से एक के साथ
चलते-चलते.
जंगल के बीचोंबीच पानी रोकता है मुझे,
बारिश, जो गिरती है साथ लेकर अपना आकाश.

फिर मैं स्पर्श करता हूँ उस मन को जो गिरा था, बरसता हुआ:
वहाँ मैं जानता हूँ वे तुम्हारी आँखें थीं
जो बेध गई थीं मुझे, ले गई थीं मेरे दुःख के विशाल अंतरतम तक.
और उभरती है केवल एक छाया की फुसफुसाहट,

कौन है? कौन है?, मगर उसका कोई नाम नहीं है,
उस पत्ते या काले पानी का जो टिपटिपाता है
जंगल के बीचोंबीच, रास्तों के साथ-साथ
बहरा हो कर चलता है :

तो, प्रिय, मैं जानता था कि मैं घायल हूँ,
और कोई नहीं बोला वहाँ,
छायाओं के, भटकती रात के,
बारिश के चुम्बन के सिवाय.


-- पाब्लो नेरुदा



  पाब्लो नेरुदा ( Pablo Neruda ) को कौन नहीं जानता. वे चिली के कवि थे.कोलंबिया के महान उपन्यासकार गेब्रिअल गार्सिया मार्केज़ ने उन्हें ' 20 वीं सदी का, दुनिया की सभी भाषाओँ में से सबसे बेहतरीन कवि ' कहा है. 10वर्ष की आयु में उन्होंने कविताएँ लिखनी शुरू की. 19वर्ष की आयु में उनका पहला संकलन 'क्रेपेस्क्युलारियो ' प्रकाशित हुआ और उसके बाद उनकी प्रसिद्द प्रेम कविताएँ ' ट्वेंटी पोएम्ज़ ऑफ़ लव एंड अ सोंग ऑफ़ डेसपैर '. दोनों संकलन खूब सराहे गए और दूसरी भाषाओँ में अनूदित लिए गए. उनकी प्रेम कविताओं की तो सहस्रों प्रतियाँ आज तक बिक चुकी है. उनके पूरे लेखन काल में उनकी 50से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई और अनेक भाषाओँ में असंख्य अनुवाद हुए. 1971में उन्हें नोबेल प्राइज़ भी प्राप्त हुआ. यह कविता उनके संकलन '100 लव सोनेट्स ' से है. यह सत्तरवां सोनेट है .

इस कविता का मूल स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद स्टीफन टैपस्काट ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

सोमवार, नवंबर 26, 2012

जाड़ों के लिए कुछ पंक्तियाँ

स्नो एंड मिस्ट, जॉन एटकिनसन ग्रिमशॉ
Snow and Mist, John Atkinson Grimshaw
जैसे-जैसे ठण्ड बढ़े
और झरने लगे हवा से कुछ सलेटी-सा
कहना स्वयं से
कि तुम जारी रखोगे
चलना, सुनते रहोगे
उसी धुन को चाहे कहीं भी
पाओ स्वयं को तुम --
अँधेरे के गुम्बद के भीतर
या बर्फ की घाटी में
चाँद की चटक सफ़ेद टकटकी तले.
आज रात जैसे-जैसे ठण्ड बढ़े
बताना स्वयं को
जो जानते हो तुम जो
कुछ और नहीं, है धुन
जो बजाती है तुम्हारी हड्डियाँ
जब तुम चलते हो. और कम-से-कम
एक बार लेट पाओगे तुम
जाड़ों के तारों की मद्धम आंच तले.
और ऐसा हो अगर कि तुम
न बढ़ सको आगे न पीछे ही लौट सको
और पाओ स्वयं को वहाँ
जहाँ अंत में पाओगे तुम
कहना स्वयं से
अपने अंगों में से ठण्ड के उस अंतिम बहाव में
कि तुम जो हो उससे प्रेम करते हो तुम.



--  मार्क स्ट्रैन्ड


  मार्क स्ट्रैन्ड ( Mark Strand )एक अमरीकी कवि, लेखक व अनुवादक हैं. 1990 में वे अमरीका के 'पोएट लौरेएट ' थे. वे कई जाने-माने विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी पढ़ा चुके हैं और आजकल  कोलम्बिया  युनिवेर्सिटी में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं. उन्हें 'पुलित्ज़र प्राइज़ ' सहित कई सम्मान प्राप्त हुए हैं. अब तक उनकी कविताओं, लेखों व अनुवादों के 30 से भी अधिक संकलन प्रकाशित हो चुके हैं. यह कविता उनके संकलन 'न्यू एंड सिलेक्टेड पोएम्ज़' से है.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से अनुवाद -- रीनू  तलवाड़

शनिवार, नवंबर 24, 2012

लघु

एप्पल एंड लेमन, कुज़्मा पेत्रोव-वोड्किन
Apple and Lemon, Kuzma Petrov-Vodkin
औरत मेज़ के सामने खड़ी हो जाती है. उसके उदास हाथ
चाय के लिए नीम्बू की पतली गोल फांकें काटना शुरू करते हैं
जो किसी बच्चे की परिकथा के छोटे रथ
के पीले पहियों जैसी लगती हैं. उसके सामने बैठा युवा अफसर
पुरानी आराम कुर्सी में धंसा हुआ है. वह उसे नहीं देखता.
वह अपनी सिगरेट सुलगाता है. उसका माचिस वाला हाथ काँपता है,
और फेंकता है अपनी लौ उसकी नाज़ुक ठुड्डी और कप के हैंडल पर.
घड़ी थाम लेती है एक पल के लिए अपनी धड़कन.
कुछ स्थगित हुआ है. बीत चुका है वह पल.
अब बहुत देर हो चुकी है. चलो चाय पीते हैं.
क्या यह मुमकिन है, फिर, कि मृत्यु इस तरह के रथ में आएगी?
पास से निकल कर चली जाएगी? और केवल रह जाएगा यह रथ,
अपने नीम्बू के पीले पहिये लिए,
जो खड़ा रहेगा न जाने कितने वर्षों तक किसी छोटी गली में,
बिना जली लालटेनें लिए,
और फिर एक छोटा-सा गीत, हलकी-सी धुंध, और फिर कुछ नहीं ?


-- ज्यानिस रीत्ज़ोज़  




 ज्यानिस रीत्ज़ोज़ ( Yannis Ritsos ) एक युनानी कवि और वामपंथी ऐक्टिविस्ट थे. टी बी और दुखद पारिवारिक समस्याओं से त्रस्त, अपने वामपंथी विचारों के लिए उत्पीड़ित, उन्होंने ने कई वर्ष सैनटोरीअमों, जेलों व निर्वासन में बिताये मगर पूरा समय वे लिखते रहे और अनेक कविताएँ, गीत, नाटक लिख डाले, कई अनुवाद भी कर डाले. अपने दुखों के बावजूद, समय के साथ उनके अन्दर ऐसा बदलाव आया कि वे अत्यंत मानवीय हो गए और उनके लेखन में उम्मीद, करुणा और जीवन के प्रति प्रेम झलकने लगा. उनकी 117किताबे प्रकाशित हुई जिनमे कविताओं के साथ-साथ नाटक व निबंध-संकलन भी थे.


इस कविता का मूल ग्रीक से अंग्रेजी में अनुवाद एडमंड कीली ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

गुरुवार, नवंबर 22, 2012

क्या चाहता हूँ मैं

न. 9, (डार्क ओवर लाइट अर्थ ), मार्क रोथको
No.9, ( Dark over Light Earth), Mark Rothko



देखो, मैं बहुत कुछ चाहता हूँ.
शायद सभी कुछ चाहता हूँ मैं :
हर अनंत अवरोह का अन्धकार,
हर आरोह का झिलमिलाता प्रकाश.





-- रायनर मरीया रिल्के 






 रायनर मरीया रिल्के ( Rainer Maria Rilke ) जर्मन भाषा के सब से महत्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं. वे ऑस्ट्रिया के बोहीमिया से थे. उनका बचपन बेहद दुखद था, मगर यूनिवर्सिटी तक आते-आते उन्हें साफ़ हो गया था की वे साहित्य से ही जुड़ेंगे. तब तक उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित भी हो चुका था. यूनिवर्सिटी की पढाई बीच में ही छोड़, उन्होंने रूस की एक लम्बी यात्रा का कार्यक्रम बनाया. यह यात्रा उनके साहित्यिक जीवन में मील का पत्थर साबित हुई. रूस में उनकी मुलाक़ात तोल्स्तॉय से हुई व उनके प्रभाव से रिल्के का लेखन और गहन होता गुया. फिर उन्होंने पेरिस में रहने का फैसला किया जहाँ वे मूर्तिकार रोदें के बहुत प्रभावित रहे.यूरोप के देशों में उनकी यात्रायें जारी रहीं मगर पेरिस उनके जीवन का भौगोलिक केंद्र बन गया. पहले विश्व युद्ध के समय उन्हें पेरिस छोड़ना पड़ा, और वे स्विटज़रलैंड में जा कर बस गए, जहाँ कुछ वर्षों बाद ल्यूकीमिया से उनका देहांत हो गया. कविताओं की जो धरोहर वे छोड़ गए हैं, वह अद्भुत है. यह कविता उनके संकलन 'बुक ऑफ़ इमेजिज़ ' से है.
इस कविता का जर्मन से अंग्रेजी में अनुवाद जोआना मेसी व अनीता बैरोज़ ने किया है. 
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़