एप्पल एंड लेमन, कुज़्मा पेत्रोव-वोड्किन Apple and Lemon, Kuzma Petrov-Vodkin |
चाय के लिए नीम्बू की पतली गोल फांकें काटना शुरू करते हैं
जो किसी बच्चे की परिकथा के छोटे रथ
के पीले पहियों जैसी लगती हैं. उसके सामने बैठा युवा अफसर
पुरानी आराम कुर्सी में धंसा हुआ है. वह उसे नहीं देखता.
वह अपनी सिगरेट सुलगाता है. उसका माचिस वाला हाथ काँपता है,
और फेंकता है अपनी लौ उसकी नाज़ुक ठुड्डी और कप के हैंडल पर.
घड़ी थाम लेती है एक पल के लिए अपनी धड़कन.
कुछ स्थगित हुआ है. बीत चुका है वह पल.
अब बहुत देर हो चुकी है. चलो चाय पीते हैं.
क्या यह मुमकिन है, फिर, कि मृत्यु इस तरह के रथ में आएगी?
पास से निकल कर चली जाएगी? और केवल रह जाएगा यह रथ,
अपने नीम्बू के पीले पहिये लिए,
जो खड़ा रहेगा न जाने कितने वर्षों तक किसी छोटी गली में,
बिना जली लालटेनें लिए,
और फिर एक छोटा-सा गीत, हलकी-सी धुंध, और फिर कुछ नहीं ?
-- ज्यानिस रीत्ज़ोज़
ज्यानिस रीत्ज़ोज़ ( Yannis Ritsos ) एक युनानी कवि और वामपंथी ऐक्टिविस्ट थे. टी बी और दुखद पारिवारिक समस्याओं से त्रस्त, अपने वामपंथी विचारों के लिए उत्पीड़ित, उन्होंने ने कई वर्ष सैनटोरीअमों, जेलों व निर्वासन में बिताये मगर पूरा समय वे लिखते रहे और अनेक कविताएँ, गीत, नाटक लिख डाले, कई अनुवाद भी कर डाले. अपने दुखों के बावजूद, समय के साथ उनके अन्दर ऐसा बदलाव आया कि वे अत्यंत मानवीय हो गए और उनके लेखन में उम्मीद, करुणा और जीवन के प्रति प्रेम झलकने लगा. उनकी 117किताबे प्रकाशित हुई जिनमे कविताओं के साथ-साथ नाटक व निबंध-संकलन भी थे.
इस कविता का मूल ग्रीक से अंग्रेजी में अनुवाद एडमंड कीली ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
जीवन की क्षणभंगुरता का सुन्दर बिम्ब.मृत्यु और प्रेम की तनातनी ओर बीच में मनुष्य की नियति.
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