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स्टिल लाइफ विद लैंप, मार्क शगाल Still Life with Lamp, Marc Chagall |
आता है संगीत का एक शांत स्वर.
तुम संभालते हो उसे जीभ पर,
अँगूर के एक पके दाने की तरह,
जब तक कि
दमकने न लगे तुम्हारी पूरी देह.
दो साँसों के बीच के अन्तराल में
तुम लगाते हो उसे किसी घाव पर
और घाव भरने लगता है.
कुछ दिनों में रातें लम्बी होने लगेंगी,
आरे की तरह गुनगुनाते
तुम झुक जाओगे साल पर.
तुम भरोगे लालटेनों में मिट्टी का तेल,
मन में कहीं यह जानते हुए
कि टूटेगा बिजली का तार कहीं,
शहर अँधेरे में डूब जाएगा,
लोग खोजेंगे मोमबत्तियाँ निचले दराजों में.
तुम तैयार रहोगी. तुम अपने गीत को
इस्तेमाल करोगी माचिस की तीली की तरह.
वह भर देगा तुम्हारे कमरों को,
खोलेगा अपने स्वयं के कमरे
ताकि तुम गाती रहो, मुझे नहीं पता था
कि मेरा घर इतना बड़ा है.
-- नाओमी शिहाब नाए

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़