शनिवार, मार्च 23, 2013

गीत

स्टिल लाइफ विद लैंप, मार्क शगाल
Still Life with Lamp, Marc Chagall
कहीं से
आता है संगीत का एक शांत स्वर.
तुम संभालते हो उसे जीभ पर,
अँगूर के एक पके दाने की तरह,
जब तक कि
दमकने न लगे तुम्हारी पूरी देह.
दो साँसों के बीच के अन्तराल में
तुम लगाते हो उसे किसी घाव पर
और घाव भरने लगता है.

कुछ दिनों में रातें लम्बी होने लगेंगी,
आरे की तरह गुनगुनाते
तुम झुक जाओगे साल पर.
तुम भरोगे लालटेनों में मिट्टी का तेल,
मन में कहीं यह जानते हुए
कि टूटेगा बिजली का तार कहीं,
शहर अँधेरे में डूब जाएगा,
लोग खोजेंगे मोमबत्तियाँ निचले दराजों में.
तुम तैयार रहोगी. तुम अपने गीत को
इस्तेमाल करोगी माचिस की तीली की तरह.
वह भर देगा तुम्हारे कमरों को,
खोलेगा अपने स्वयं के कमरे
ताकि तुम गाती रहो, मुझे नहीं पता था
कि मेरा घर इतना बड़ा है.


-- नाओमी शिहाब नाए 



 नाओमी शिहाब नाए ( Naomi Shihab Nye )एक फिलिस्तीनी-अमरीकी कवयित्री, गीतकार व उपन्यासकार हैं. वे बचपन से ही कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. फिलिस्तीनी पिता और अमरीकी माँ की बेटी, वे अपनी कविताओं में अलग-अलग संस्कृतियों की समानता-असमानता खोजती हैं. वे आम जीवन व सड़क पर चलते लोगों में कविता खोजती हैं. उनके 7 कविता संकलन और एक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक अवार्ड व सम्मान प्राप्त हुए हैं. उन्होंने अनेक कविता संग्रहों का सम्पादन भी किया है. 


इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

1 टिप्पणी: