गुरुवार, मार्च 08, 2012

पुल

वोल्गा. रेनबो, बोरिस कुस्तोदिएव
Volga. Rainbow, Boris Kustodiev

इस पल और इस पल के बीच,
मैं हूँ और तुम हो के बीच, 
एक शब्द है पुल.

उसको पार करते समय
तुम पार करते हो अपने आप को:
दुनिया जुड़ने लगती है 
और हो जाती है एक छल्ले की तरह बंद.

एक तट से दूसरे तट तक,
हमेशा होती है
एक फैली हुई देह :
इन्द्रधनुष.
मैं सोऊंगा उसकी मेहराबों के तले.


-- ओक्तावियो पास 



  ओक्तावियो पास ( Octavio Paz )मेक्सिको के लेखक व कवि थे. वे कुछ साल भारत में मेक्सिको के राजदूत भी रहे. उनके लेखन पर मार्क्सवाद, स्यूरेयालीज्म, एग्ज़िस्टेन्शलिज़म के साथ हिन्दू व बौध धर्मों का भी बहुत प्रभाव रहा. उनकी कविताओं व निबंधों के असंख्य संकलन छपे हैं व अनेक भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है. सैम्युएल बेकेट, एलीजाबेथ बिशप, मार्क स्ट्रैंड जैसे जाने-माने कवियों-लेखकों ने उनके लेखन का अंग्रेजी में अनुवाद किया है. सर्वंतेस प्राइज़ व 1990 के नोबेल पुरस्कार सहित उन्हें अनेक सम्मान मिले थे.
इस कविता का मूल स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद एलियट वाइनबर्गर ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़