समुद्र पार के पाखी
कविता पढ़ना नदी को पुल से पार करना है. अनुवाद करना कवि के साथ उस नदी में डूब जाना है…
शुक्रवार, अगस्त 24, 2018
सोमवार, जुलाई 23, 2018
अनुमति
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| स्पाइडर, लिओनोरा कैरिंगटन | 
मैंने एक मकड़ी को मार डाला 
नहीं थी वह कोई भूरी घातक एकांतवासी 
न ही विषैली काली 
और सच कहूँ तो
छोटी-सी थी 
नाज़ुक कागज़ की-सी  
जिसे तभी भाग जाना चाहिए था 
जब मैंने किताब उठाई,
मगर नहीं भागी 
और मैं उससे डर गयी  
और मैंने उसे कुचल दिया 
नहीं लगता मुझे 
कि है अनुमति 
योलेंद कॉर्नीलिया "निक्की" जोवान्नी ( Yolande Cornelia "Nikki" Giovanni) अमरीकी लेखिका, कवयित्री, शिक्षक व एक्टिविस्ट हैं. उनका नाम विश्व के जाने-माने अफ़्रीकी-अमेरिकी कवियों में शामिल हैं. उनके कविता संग्रहों, रिकॉर्डिंग्स एवं निबंधों में जाति व समाज प्रमुख विषय हैं. उन्हें लैंग्स्टन ह्यूज़ मैडल एवं एन ए ए सी पी इमेज अवार्ड सहित कई पुरूस्कार प्राप्त हुए हैं. 1960 के दशक में उन की ख्याति धीरे-धीरे तब बढ़ी जब उन्होंने 'ब्लैक आर्ट्स मूवमेंट' का नेतृत्व किया. उनकी आरंभिक कविताएँ उस समय की सिविल राइट्स मूवमेंट और ब्लैक पावर मूवमेंट से अत्यधिक प्रभावित हैं और इस कदर आक्रामक अफ्रीकी-अमरीकी दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं कि उन्हें 'पोएट ऑफ़ द ब्लैक रेवोल्यूशन' कहा जाने लगा. 1970 के दशक में उन्होंने बाल-साहित्य लेखन आरम्भ किया और साझेदारी में एक प्रकाशन कंपनी खोली जो की अन्य अफ्रीकी-अमेरिकी स्त्रियों के लेखन के अवसर प्रदान करती थी. उनकी बाद की कविताओं में सामाजिक मुद्दे, मानवीय रिश्ते व हिप-हॉप जैसे विषय प्रमुख रहे. क्वीन्ज़ कॉलेज, रटगर्ज़, ओहायो स्टेट विश्वविद्यालय के बाद, इन दिनों वे वर्जिनिया टेक में युनिवेर्सिटी डिस्टिंगुइशेड प्रोफेसर हैं.
इस कविता का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 
गुरुवार, सितंबर 10, 2015
आज और शायद कल भी
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| वुमन एट राइटिंग डेस्क, लैसर ऊरी Woman at Writing Desk, Lesser Uri  | 
सोच से, पश्चाताप से, टूटी और अब तक अनटूटी 
उम्मीद से भरा,
भरा स्मृतियों से, गर्व से, आधिक्य में छलके 
निजी दुःख से, 
शुरू करती हूँ मैं एक और पन्ना, एक और कविता. 
कितने विचारों से भरा होता है दिन! कभी पहनाती हूँ 
मैं उन्हें शब्दों के जामे, कभी 
काफियों के मिलते-जुलते जूते.
क्या ठाठ भरा जीवन है !
जबकि कहीं कोई किसी रोते हुए चेहरे को चूम रहा है. 
जबकि कहीं औरतें जाग रही हैं रात के दो बजे, निकल 
रही हैं घरों से, मीलों दूर चलकर पानी लाने
जबकि कहीं कोई बम फटने के लिए तैयार हो रहा है.
-- मेरी ओलिवर
 मेरी ओलिवर ( Mary Oliver )एक अमरीकी कव्यित्री हैं, जो 60 के दशक से कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. उनके 25 से अधिक कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं और बहुत सराहे गए हैं. उन्हें अमरीका के श्रेष्ठ सम्मान 'नेशनल बुक अवार्ड' व 'पुलित्ज़र प्राइज़' भी प्राप्त हो चुके हैं. उनकी कविताएँ प्रकृति की गुप-चुप गतिविधियों के बारे में हैं, जैसे वो धरती और आकाश के बीच खड़ीं सब देख रहीं हैं. और  उनकी कविताओं में उनका अकेलेपन  से प्यार, एक निरंतर आंतरिक एकालाप व स्त्री का प्रकृति से गहरा सम्बन्ध भी दिखाई देता है. 
 मेरी ओलिवर ( Mary Oliver )एक अमरीकी कव्यित्री हैं, जो 60 के दशक से कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. उनके 25 से अधिक कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं और बहुत सराहे गए हैं. उन्हें अमरीका के श्रेष्ठ सम्मान 'नेशनल बुक अवार्ड' व 'पुलित्ज़र प्राइज़' भी प्राप्त हो चुके हैं. उनकी कविताएँ प्रकृति की गुप-चुप गतिविधियों के बारे में हैं, जैसे वो धरती और आकाश के बीच खड़ीं सब देख रहीं हैं. और  उनकी कविताओं में उनका अकेलेपन  से प्यार, एक निरंतर आंतरिक एकालाप व स्त्री का प्रकृति से गहरा सम्बन्ध भी दिखाई देता है. 
इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
सोमवार, मई 04, 2015
बुद्ध
![]()  | 
| मदों में, ओग्यूस्त रोदें के बागीचे में स्थापित बुद्ध की प्रतिमा, जिसे देख रिल्के को यह कविता लिखने की प्रेरणा मिली  | 
हम चुप रह कर भी कुछ नहीं सुन पाते.
और वे हैं एक तारा जिन्हें घेरे हैं 
कई विशाल तारे जो हमें दिखाई नहीं देते. 
आह! वे सबकुछ हैं. 
क्या वाकई हमें लगता है कि वे देख पाएँगे हमें? 
क्या उन्हें आवश्यकता भी है?
हम करें साष्टांग उनके चरणों में प्रणाम तब भी 
वे किसी प्राणी की तरह गहन और शांत ही रहेंगे.
क्योंकि जो हमें उनके चरणों में गिरने पर बाध्य करता है 
वह उनके भीतर असंख्य वर्षों से परिक्रमाएँ कर रहा है. 
जो हम भोग रहे हैं, उसे वे भूल चुके हैं 
और जो प्रायः वर्जित हैं हमें, उसे वे जानते हैं.
-- रायनर मरीया रिल्के
 रायनर मरीया रिल्के ( Rainer Maria Rilke ) जर्मन भाषा के सब से महत्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं. वे ऑस्ट्रिया के बोहीमिया से थे. उनका बचपन बेहद दुखद था, मगर यूनिवर्सिटी तक आते-आते उन्हें साफ़ हो गया था की वे साहित्य से ही जुड़ेंगे. तब तक उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित भी हो चुका था. यूनिवर्सिटी की पढाई बीच में ही छोड़, उन्होंने रूस की एक लम्बी यात्रा का कार्यक्रम बनाया. यह यात्रा उनके साहित्यिक जीवन में मील का पत्थर साबित हुई. रूस में उनकी मुलाक़ात तोल्स्तॉय से हुई व उनके प्रभाव से रिल्के का लेखन और गहन होता गुया. फिर उन्होंने पेरिस में रहने का फैसला किया जहाँ वे मूर्तिकार रोदें के बहुत प्रभावित रहे.यूरोप के देशों में उनकी यात्रायें जारी रहीं मगर पेरिस उनके जीवन का भौगोलिक केंद्र बन गया. पहले विश्व युद्ध के समय उन्हें पेरिस छोड़ना पड़ा, और वे स्विटज़रलैंड में जा कर बस गए, जहाँ कुछ वर्षों बाद ल्यूकीमिया से उनका देहांत हो गया. कविताओं की जो धरोहर वे छोड़ गए हैं, वह अद्भुत है. यह कवितांश 'न्यू पोएम्ज़' से है. 
इस कविता का जर्मन से अंग्रेजी में अनुवाद ल्यूक फिशर व लुट्ज़ नफ़ेल्ट ने किया है. 
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
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