शुक्रवार, जून 03, 2011

साधारण जीवन

काफे तेरास्स ऑन द पलास दयु फोरम, विन्सेंट वान गोग 
एक बेंच पर छूटे
मुड़े-तुड़े से कागज़ पर
लिखा हुआ पढ़ा था मैंने --
जीवन साधारण है हमारा.
दार्शनिकों ने बताया था मुझे, 
हमारा जीवन साधारण है.

साधारण जीवन, साधारण दिन, 
साधारण चिंताएं,
संगीत सम्मलेन, बातचीत,
शहर के बाहर खुली जगहों में घूमना, 
अच्छी खबर, बुरी -- 

मगर चीज़ें और सोच 
जैसे फिर भी आधे-अधूरे थे, 
अधपके.

घर और पेड़ 
कुछ और चाहते थे, 
और गर्मियों में 
हरे घास के मैदानों ने, 
ज्वालामुखीय गृह को 
ऐसे ढँक लिया था
जैसे समुद्र पर 
उछाल  के फेंका गया ओवरकोट.

अँधेरे सिनेमाघर रोशनी को तरसते हैं,
जंगल उत्तेजित साँसें लेते हैं,
बादल हौले-हौले गाते हैं,
एक सुनहरा पंछी
बारिश की कामना करता है. 
साधारण जीवन चाहता है, इच्छा करता है.


-- आदम ज़गायेव्स्की 


  •  
आदम ज़गायेव्स्की पोलैंड के कवि, लेखक, उपन्यासकार व अनुवादक हैं. वे क्रैको में रहते हैं मगर इन दिनों वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो में पढ़ाते हैं. वहां एक विषय जो वे पढ़ाते हैं वह है उनके साथी पोलिश कवि चेस्वाफ़ मीवोश की कविताएँ. उनके अनेक कविता व निबंध संकलन छ्प चुके हैं, व अंग्रेजी में उनकी कविताओं व निबंधों का अनुवाद भी खूब हुआ है. 
इस कविता का मूल पोलिश से अंग्रजी में अनुवाद क्लेर कवन्नाह ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

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