शुक्रवार, जून 24, 2011

एकांत

लैंडस्केप अंडर अ स्टोर्मी स्काए, विन्सेंट वान गोग 

बदलते मौसम, धूप और अँधेरा,
बदलते हैं दुनिया को, 
जो अपने उजियारों से सुख देती है,
अपने बादलों के संग उदासी ले आती है.

और मैं,
जिसने हमेशा अत्यंत कोमलता से 
देखा है उसके अलग-अलग रूपों को,
नहीं जानता 
कि आज मुझे उदास होना चाहिए
या ख़ुशी से आगे बढ़ जाना चाहिए,
जैसे कोई परीक्षा सफल हो गयी हो ;
मैं उदास हूँ, 
और फिर भी यह दिन इतना सुन्दर है,
धूप और बारिश केवल मन ही में हैं.

लम्बी सर्दियों को बदल सकता हूँ, 
वसंत कर सकता हूँ मैं, 
जहाँ धूप में रास्ता 
ज़री की किनारी-सा दमके 
और मैं स्वयं का अभिवादन करूँ.

मेरी धुंध, मेरे अच्छे मौसम,
सब मेरे भीतर ही हैं,
जैसे मेरे भीतर ही है 
वह परिपूर्ण प्यार 
जिसके लिए मैंने इतना दुःख सहा,
और जिसके लिए अब नहीं रोता हूँ,
मेरी आँखें मेरे लिए काफी हों,
और मेरा मन.


-- उम्बेर्तो साबा


Umberto Sabaउम्बेर्तो साबा इटली के कवि व उपन्यासकार थे. 20 वीं सदी के आरम्भ में उनका लेखन शुरू हुआ.1910 में उनका पहला कविता-संग्रह प्रकाशित हुआ और 74 वर्ष की आयु तक लगभग 15संकलन व उपन्यास प्रकाशित हो चुके थे. उनको एकांत का कवि कहा गया है, क्योंकि वे अपनी कविताओं में ही जीते थे. उनकी कविताएँ अँधेरे से निकल के, उजालों की ओर जाती दिखाई देती है. उनकी कविताओं का अनेक भाषाओँ में अनुवाद हुआ है. यह कविता उनके संकलन 'सोंगबुक ' से है.
इस कविता का मूल इटालियन से अंग्रेजी में अनुवाद जोर्ज होचफील्ड व  लेनर्ड नेथन ने किया है.

इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

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