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वुमन विद अ पैरासोल, क्लौद मोने Woman With A Parasol, Claude Monet |
अगर तुम्हारी आँखें चाँद के रंग की ना होती
एक भरे दिन [ यहाँ, बच्चे के जागने के कारण
रुकना पड़ा -- करीब २६ घंटे बाद फिर
लिखना शुरू किया ]
एक गीली मिटटी से भरे दिन के रंग की,
और काम के, और आग के,
अगर जकड़ी हुई भी तुम
हवा की तरह सुन्दर चपलता से न हिलती,
अगर तुम एक कहरुवा रंग का सप्ताह न होती,
न वह पीला पल
जब पतझड़ बेलों से निकल ऊपर चढ़ आता है,
अगर तुम वह रोटी न होती जो महका चाँद
बेलता है, अपना आटा पूरे आकाश पर छितराते हुए,
ओह, मेरी प्यारी, तो मैं तुम्हें ऐसे प्यार नहीं कर सकता था.
मगर जब मैं तुम्हें थामता हूँ मैं उस सब को थामता हूँ जो है --
रेत, समय, बारिश का पेड़,
सब कुछ जीवित है ताकि मैं जीवित रह सकूँ :
बिना यहाँ से हटे मैं सब कुछ देख सकता हूँ :
मैं तुम्हारे जीवन में वह सब देख सकता हूँ जो जीता है.
-- पाब्लो नेरुदा

इस कविता का मूल स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद स्टीफन टैपस्कोट ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
आह ! मैं अब तक कहाँ था !!!
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