मंगलवार, अगस्त 23, 2011

अगर तुम्हारी आँखें

वुमन विद अ पैरासोल, क्लौद मोने
Woman With A Parasol, Claude Monet

अगर तुम्हारी आँखें चाँद के रंग की ना होती 
एक भरे दिन [ यहाँ, बच्चे के जागने के कारण 
रुकना पड़ा -- करीब २६ घंटे बाद फिर 
लिखना शुरू किया ]
एक गीली मिटटी से भरे दिन के रंग की,
और काम के, और आग के,
अगर जकड़ी हुई भी तुम
हवा की तरह सुन्दर चपलता से न हिलती,
अगर तुम एक कहरुवा रंग का सप्ताह न होती,

न वह पीला पल 
जब पतझड़ बेलों से निकल ऊपर चढ़ आता है,
अगर तुम वह रोटी न होती जो महका चाँद 
बेलता है, अपना आटा पूरे आकाश पर छितराते हुए, 

ओह, मेरी प्यारी, तो मैं तुम्हें ऐसे प्यार नहीं कर सकता था.
मगर जब मैं तुम्हें थामता हूँ मैं उस सब को थामता हूँ जो है --
रेत, समय, बारिश का पेड़,

सब कुछ जीवित है ताकि मैं जीवित रह सकूँ :
बिना यहाँ से हटे मैं सब कुछ देख सकता हूँ :
मैं तुम्हारे जीवन में वह सब देख सकता हूँ जो जीता है.


-- पाब्लो नेरुदा 



पाब्लो नेरुदा ( Pablo Neruda ) को कौन नहीं जानता. वे चिली के कवि थे.कोलंबिया के महान उपन्यासकार गेब्रिअल गार्सिया मार्केज़ ने उन्हें ' 20 वीं सदी का, दुनिया की सभी भाषाओँ में से सबसे बेहतरीन कवि ' कहा है. 10वर्ष की आयु में उन्होंने कविताएँ लिखनी शुरू की. 19वर्ष की आयु में उनका पहला संकलन 'क्रेपेस्क्युलारियो ' प्रकाशित हुआ और उसके बाद उनकी प्रसिद्द प्रेम कविताएँ ' ट्वेंटी पोएम्ज़ ऑफ़ लव एंड अ सोंग ऑफ़ डेसपैर '. दोनों संकलन खूब सराहे गए और दूसरी भाषाओँ में अनूदित लिए गए. उनकी प्रेम कविताओं की तो सहस्रों प्रतियाँ आज तक बिक चुकी है. उनके पूरे लेखन काल में उनकी 50से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई और अनेक भाषाओँ में असंख्य अनुवाद हुए. 1971में उन्हें नोबेल प्राइज़ भी प्राप्त हुआ. यह कविता उनके संकलन '100 लव सोनेट्स ' से है. यह आठवां सोनेट है .
इस कविता का मूल स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद स्टीफन टैपस्कोट ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

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