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| द रिवर, क्लौद मोने The River, Claude Monet |
मगर उन्हें कहीं लेकर नहीं जाता --
इतने फैलाव में दम घुट जाता है मेरा !
मैं फिर सांस लेता हूँ, वो रहा क्षितिज फिर-से,
अपनी आँखें ढंकने के लिए मैं कुछ ढूँढने लगता हूँ.
शायद रेत मुझे अधिक भाती --
एक परतों भरा जीवन
नदी के कटीले किनारों के साथ-साथ.
मैं लिपटा रहता शर्मीली धारा के आँचल से,
भँवर से, उथले पानियों और गड्ढों से.
हम गहरे सामंजस्य से काम करते
एक पल के लिए, एक सदी के लिए.
मैंने उस तरह के तेज़ी से गिरते जलप्रपात बहुत चाहे हैं.
पानी में बहते लकड़ी के लट्ठों की छाल के भीतर
कान लगाया होता मैंने और सुनी होती
पेड़ के वलयों की
बाहर की ओर चलते आने की आवाज़.
-- ओसिप मैंडलस्टैम
ओसिप मैंडलस्टैम ( Osip Mandelstam )रूसी कवि व निबंधकार थे और विश्व साहित्य में भी उनकी गीतात्मक कविताओं का विशिष्ट स्थान है. वे यहूदी थे और उनका परिवार पोलिश मूल का था, मगर वे सेंट पीटर्सबर्ग में बड़े हुए. स्कूल के समय से ही वे कविता लिखने लगे थे. उन्होंने अपने समकालीन रूसी कवियों के साथ मिल कर 'एक्मेइज़म' ( Acmeism ) की स्थापना की. 22 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित हुआ -- द स्टोन. जब उनकी कविताओं में रूसी क्रांति के दिग्भ्रमित होने का दुःख छलकने लगा, तो स्तालिन ने उन्हें निर्वासित कर दिया. उनके अनेक कविता व निबंध संग्रह प्रकाशित हुए व उनकी कविताओं का खूब अनुवाद भी किया गया है.इस कविता का मूल रशियन से अंग्रेजी में अनुवाद क्लेरन्स ब्राउन व डब्ल्यू एस मर्विन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

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