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लिवाइअथन (जॉब 40 :21) , सेल्वाडोर डाली Leviathan (Job 40:21), Salvador Dali |
मैंने इतना कम कहा.
दिन छोटे थे.
छोटे दिन.
छोटी रातें.
छोटे साल.
मैंने इतना कम कहा.
मैं पिछड़ गया.
थक-हार गया मेरा मन
आनंद से,
निराशा से,
उत्साह से,
आशा से.
जकड़ रहे थे मुझे
भीमकाय लिवाइअथन के जबड़े.
नग्न लेटा था मैं
निर्जन टापुओं के तट पे.
घसीट ले गई मुझे
दुनिया की यह सफ़ेद व्हेल मछली
अपने गहरी खाई में.
और अब मैं नहीं जानता
कि यथार्थ क्या था उस सब में.
-- चेस्वाफ़ मीवोश
इस कविता का मूल पोलिश से अंग्रेजी में अनुवाद चेस्वाफ़ मीवोश और लिलियन वाली ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
Vakai ye sansaar khwaab hai... Bus aap ek baar mar kar dekhne ki jaroorat hoti hai...
जवाब देंहटाएंबड़बड़ाना छोड़ दो
बेहतरीन रचना प्रस्तुती.....
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