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ओरेंज ग्रोव, यात्सेक येर्खा
Orange Grove, Jacek Yerka |
चौक
और धधकते संतरे के पेड़,
बड़े-बड़े सूरजों से लदे हुए.
फिर छोटे-से स्कूल से आता शोर --
अचानक भर जाती है रूखी-सी हवा
ठहाकों और चिल्लाहट से -
वह निरंकुश आनंद
जो बसता है निर्जीव शहरों के कोनों में!
और जो कुछ-कुछ हम भी थे
बीते कल में
स्वयं में अब भी जीवित पाते हैं,
जैसे इन पुरातन सड़कों के ठीक नीचे
हो बहती नदी का स्पंदन...
-- डान पेटरसन
डान पेटरसन ( Don Paterson ) स्कॉटलैंड के कवि,लेखक व संगीतकार हैं. वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ सेंट एंड्रूज़ में अंग्रेजी पढ़ाते हैं, लन्दन के प्रकाशक 'पिकाडोर' के लिए पोएट्री एडिटर हैं और एक बेहतरीन जैज़ गिटारिस्ट हैं . अपने पहले कविता संकलन 'निल निल' से ही उन्हें पहचाना जाने लगा व अवार्ड मिलने लगे. अपने संकलन ' गाडज़ गिफ्ट टू विमेन ' के लिए उन्हें टी एस एलीअट प्राइज़ प्राप्त हुआ. उनके एक और संकलन 'लैंडिंग लाईट ' को विटब्रेड पोएट्री अवार्ड व फिर से टी एस एलीअट प्राइज़ प्राप्त हुआ. उन्होंने दूसरी भाषाओँ से अंग्रेजी में बहुत अनुवाद भी किया है जिन में से सबसे उल्लेखनीय स्पेनिश कवि अंतोनियो मचादो व जर्मन कवि रिल्के की रचनाएँ हैं. उन्होंने कई कविता संकलनों का संपादन किया है, नाटक लिखे हैं व विशेष रूप से रेडियो नाटक लिखे हैं. यह कविता उनके संकलन 'आईज ' से है, जिसे स्पेनिश कवि अंतोनियो मचादो की कविताओं का अनुवाद भी कहा जा सकता है, या कहा जा सकता है की ये कविताएँ, उनकी कविताओं से प्रेरित हैं.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
बचपन का 'वह निरंकुश आनंद
जवाब देंहटाएंजो बसता है निर्जीव शहरों के कोनों में '
और अब 'जो इन पुरातन सड़कों के ठीक नीचे बहती हुई नदी है' ,कितना याद आता है ! मन बार-बार उड़ कर पहुँचना चाहता है उसी कालखंड मे !
सुंदर कविता ! सुंदर अनुवाद !