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क्रिएशन ऑफ़ द वर्ल्ड. मिकलोजुस चिर्लोनिअस Creation of the World, Mikalojus Ciurlionis |
झंकृत हुआ है फिर से वह एक स्वर
लालसा की तार से
जो सहसा तानी गयी है दोनों सिरों से
और कसी गयी है बजाने के लिए
वह ध्वनि जो नोची गयी है
एक पंछी के गीत से भले ही वह पंछी
अब तक शायद वहाँ हो
जहाँ कोई पुकार नहीं कर सकती
उसका पीछा
और वह एक स्वर पुकारता रहता है
अंतरिक्ष के भी पार और अब सुनाई देता है
प्राचीन रात में और वहां जाना जाता है
जिस मौन को वह पुकारता है उसके द्वारा
एक मौन पहचाना जाता है
-- डब्ल्यू एस मर्विन

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
ध्वनि और मौन के स्वर के रिश्ते की सुन्दर कविता
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