रविवार, अगस्त 12, 2012

समस्याएँ

 फायर पेंटिंग, ईव क्लाईन  
Fire Painting, Yves Klein
वे तुम्हारी नहीं होतीं.

बिना उन्हें अपना माने तुम उन्हें ध्यान से देख सकते हो.

द्वन्द और अव्यवस्था यात्रा पर जाना चाहते थे.

उन से बच के निकलने की हमेशा एक राह थी.

प्रायः एक कठिन राह.

तुम उन्हें कोशिश करने पर भी ठीक नहीं कर सकते थे.

और कोशिश तुमने ज़रूर की.

यह सोचना धृष्टता थी कि तुम उन्हें ठीक कर सकते हो.

विलियम गोयेन कहते थे
कि उनका लेखन 'मुसीबत' से शुरू होता था.
कुछ जो उसका तुम कर सकते थे,
जो तुम्हें उस से निकाल देता था,
या तुम्हें उसे देखने देता था.

कुछ ना कहते लोगों का बल.
तुम मेरी समस्याएँ नहीं जानते, मैं तुम्हारी नहीं जानता.

मेरी कोई समस्याएँ नहीं हैं.

जब मेरे पास सिलाई का कुछ काम होता है, मैं खुश होती हूँ.

मातीस ने कहा था, " जिस पल मेरे हाथों में वह रंगों का डिब्बा था
मुझे लगा था जैसे मेरा जीवन वहीं है..."

बिना समस्याओं के उस पर झुकाव के तुम्हारा जीवन कहाँ है?

तुम्हारे बिना क्या कहीं जाएगा वो?

वह कुछ नापसंद करने को ढूंढ ही लेगा, यहाँ भी.
मगर उसे अच्छा करना तुम्हारे हाथ में नहीं है.

अग्नि को कोई अच्छा नहीं कर पाया.
उसके निकल जाने के पश्चात सुशुप्त बीज चटखने लगे.


-- नाओमी शिहाब नाए 


 नाओमी शिहाब नाए ( Naomi Shihab Nye )एक फिलिस्तीनी-अमरीकी कवयित्री, गीतकार व उपन्यासकार हैं. वे बचपन से ही कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. फिलिस्तीनी पिता और अमरीकी माँ की बेटी, वे अपनी कविताओं में अलग-अलग संस्कृतियों की समानता-असमानता खोजती हैं. वे आम जीवन व सड़क पर चलते लोगों में कविता खोजती हैं. उनके 7 कविता संकलन और एक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक अवार्ड व सम्मान प्राप्त हुए हैं. उन्होंने अनेक कविता संग्रहों का सम्पादन भी किया है. यह कविता उनके संकलन " यू एंड युअर्ज़ " से है.  

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

1 टिप्पणी:

  1. सब अपने अपने सलीब उठाये फिरते हैं.किसी की मुसीबत कोई नहीं बाँट सकता है.

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