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द फेंस, जॉन सिंगर सार्जेंट The Fence, John Singer Sargent |
ले जाते हैं मुझे ऐसी जगह जहाँ मैं नहीं होता.
सारे खेत हवा हो गए हैं.
वे बाड़े के लकड़ी के खम्बे,
जो जब मैं बच्चा था मुझे अच्छे लगते थे --
उनकी लकड़ी में से मैं देख सकता हूँ अपने पिता का चेहरा,
और उनके चेहरे में से गहाई के अंत के समय का आकाश.
यह सुनना कितनी बड़ी कृपा है कि हम मर जायेंगे.
भौंकने की दस हज़ार आवाजें एक लाख बन जाती हैं;
मैं जानता था यह स्वयं से मेरी दोस्ती हमेशा नहीं चलने वाली.
छेड़ो एक बार फिर सरोद के तार को, ताकि वह उंगली
जिसने क्षण भर पहले छुआ था मेरी देह को
बन पाए एक वज्रपात जो बंद कर दे द्वार.
अब जान गया हूँ कि 'तुम' शब्द की ओर मैं क्यों करता हूँ संकेत --
तुम का स्वर मुझे ले जाता है सीमा पार.
हम वैसे ही गायब हो जाते हैं जैसे जन्मता है एक बच्चा.
पूरी दोपहर मेरे नाम का कोई पागल
कोशिश करता रहा है बाड़े के ठोस पटरों में से
झाँकने की. उस बच्चे से कहो अभी समय नहीं हुआ है.
-- रोबर्ट ब्लाए

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
सरोद के स्वर कवि को बचपन से जोड़ देते हैं जब वह सबसे अधिक मासूम था.किसी का साथ भी हमारी मूलभूत अच्छाइयों को उभार देता है.
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