शनिवार, जनवरी 19, 2013

जब वे मेरी कविताएँ पढ़ें...

चिल्ड्रन एंड सनी ट्रीज़, औगूस्ट मैके
Children and Sunny Trees, August Macke
और जब वे मेरी कविताएँ पढ़ें, 
आशा करता हूँ 
वे सोचें कि मैं हूँ कुछ प्राकृतिक --
जैसे कि वह बूढ़ा बरगद,
जिसकी छाँव में खेलते-खेलते 

थक कर धम्म से बैठ जाते थे
जब वे बच्चे थे,
और पोंछते थे पसीना 
तप रहे माथों का
धारीदार झबलों की आस्तीनों से.



-- फेर्नान्दो पेस्सोआ ( अल्बेर्तो काइरो )



फेर्नान्दो पेस्सोआ ( Fernando Pessoa )20 वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के महानतम कवियों में उनकी गिनती होती है. यह कविता उन्होंने अल्बेर्तो काइरो ( Alberto Caeiro )के झूठे नाम से लिखी थी. अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने 72 झूठे नाम या हेट्रोनिम् की आड़ से सृजन किया, जिन में से तीन प्रमुख थे. और हैरानी की बात तो ये है की इन सभी हेट्रोनिम् या झूठे नामों की अपनी अलग जीवनी, स्वभाव, दर्शन, रूप-रंग व लेखन शैली थी. पेस्सोआ के जीतेजी उनकी एक ही किताब प्रकाशित हुई. मगर उनकी मृत्यु के बाद, एक पुराने ट्रंक से उनके द्वारा लिखे 25000 से भी अधिक पन्ने मिले, जो उन्होंने अपने अलग-अलग नामों से लिखे थे. पुर्तगाल की नैशनल लाइब्ररी में उन पन्नों की एडिटिंग का काम आज तक जारी है. यह कविता उनके संकलन 'द कीपर ऑफ़ शीप ' से है.
इस कविता का मूल पुर्तगाली से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

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