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डेथ्स हेड मोथ, विन्सेंट वान गोग Death's Head Moth, Vincent Van Gogh |
लंगड़े चौकीदार के बैठने के लिए कोई जगह नहीं है.
कुर्सियाँ दो सप्ताह पहले ही बेच दी गई थीं. वहाँ आगे,
कुछ बड़े पीपों को धोया जा रहा है. बजरे
बंदरगाह के किनारे पर चढ़े हुए हैं. सड़क पार से
आ रहा है समाचार-वाचक का स्वर.
मैं नहीं सुनना चाहता.
मैं मेज़ से झाड़ता हूँ पतंगे के झुलसे-हुए पंख
जो पिछली रात से यहाँ पड़े हैं, बस इतना जानता हूँ
कि उनका सारा भार उनकी भारहीनता में है.
-- ज्यानिस रीत्ज़ोज़

इस कविता का मूल ग्रीक से अंग्रेजी में अनुवाद मार्टिन मकिंसी ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
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