शुक्रवार, मार्च 08, 2013

ईश्वर, फिर क्या करोगे तुम?

वुमन ऐज़ वाज़, ओग्यूस्त रोदें
Woman as Vase, Auguste Rodin
जब मैं मर जाऊँगा, ईश्वर, तुम क्या करोगे?

मैं तुम्हारा घड़ा हूँ (जब मैं फूट जाऊँगा?)
मैं तुम्हारा पेय हूँ (जब मैं कडुवा हो जाऊँगा?)
मैं, तुम्हारा वस्त्र; मैं, तुम्हारा काज.
मेरे बिना तुम्हारे होने का कारण ही क्या है?

मेरा बिना कहाँ होगा वह घर 
जहाँ आत्मीय शब्द करते हैं तुम्हारी प्रतीक्षा?
मैं, मखमली जूता जो गिरता हूँ तुम्हारे पैर से.
मैं, तुम्हारे काँधे से फिसलता दुशाला.
तुम क्या करोगे, ईश्वर? मैं चिंतित हूँ.


-- रायनर मरीया रिल्के




 रायनर मरीया रिल्के ( Rainer Maria Rilke ) जर्मन भाषा के सब से महत्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं. वे ऑस्ट्रिया के बोहीमिया से थे. उनका बचपन बेहद दुखद था, मगर यूनिवर्सिटी तक आते-आते उन्हें साफ़ हो गया था की वे साहित्य से ही जुड़ेंगे. तब तक उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित भी हो चुका था. यूनिवर्सिटी की पढाई बीच में ही छोड़, उन्होंने रूस की एक लम्बी यात्रा का कार्यक्रम बनाया. यह यात्रा उनके साहित्यिक जीवन में मील का पत्थर साबित हुई. रूस में उनकी मुलाक़ात तोल्स्तॉय से हुई व उनके प्रभाव से रिल्के का लेखन और गहन होता गुया. फिर उन्होंने पेरिस में रहने का फैसला किया जहाँ वे मूर्तिकार रोदें के बहुत प्रभावित रहे.यूरोप के देशों में उनकी यात्रायें जारी रहीं मगर पेरिस उनके जीवन का भौगोलिक केंद्र बन गया. पहले विश्व युद्ध के समय उन्हें पेरिस छोड़ना पड़ा, और वे स्विटज़रलैंड में जा कर बस गए, जहाँ कुछ वर्षों बाद ल्यूकीमिया से उनका देहांत हो गया. कविताओं की जो धरोहर वे छोड़ गए हैं, वह अद्भुत है. यह कविता उनके संकलन 'बुक ऑफ़ ऑवरज़' से है.

इस कविता का जर्मन से अंग्रेजी में अनुवाद जोआना मेसी व अनीता बैरोज़  ने किया है. 
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

2 टिप्‍पणियां:

  1. मैं में इश्वर को शामिल जानकर अपने न होने पर ईश्वर की बेचैनी की कल्पना की गयी है.जब हम अपने अंत के आगे सोचते हैं तो नश्वरता पर ध्यान जाता है.

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