लैंडस्केप, पॉल गोगैं Landscape, Paul Gauguin |
अल्लसुबह के सपनें, धुंध,
खिडकियों पर बजती बारिश
और अगली सड़क से मुर्गे की बांग --
सब स्मृति के तल को कहीं छू जाते हैं,
याद दिलाते हैं बचपन की उन गुनगुनी सुबहों की.
अनंतता के कई रूप होते हैं, कई आवाजें.
समय-समय पर वह तुम्हें आभास कराती है
अपने होने का -- बारिश की एक बूँद में, एक बांग में,
लाइलक फूलों की सुगंध में,
स्वप्न देखने और जागने के बीच, दो स्वप्नों के बीच:
और जिसे हम विस्तार और समय कहते हैं
वे अचानक खो देते हैं अपने मायने,
बन जाते हैं एक मुर्गे की बांग
या एक नदी जिस पर सुबह की धूप झलकती है
और अलोप हो जाते है फिर जैसे दिन के प्रकाश में धुंध
और दिवास्वप्नों में रात को देखे स्वप्न.
-- यान काप्लिन्स्की
यान काप्लिन्स्की ( Jaan Kaplinski )एस्टोनिया के कवि, भाषाविद व दार्शनिक हैं व यूरोप के प्रमुख कवियों में गिने जाते हैं. वे अपने स्वतंत्र विचारों व वैश्विक सरोकारों के लिए जाने जाते हैं. उनके कई कविता-संग्रह, कहानियां, लेख व निबंध प्रकाशित हो चुके हैं. उन्होंने कई भाषाओँ से कई भाषाओँ में अनुवाद किये है व उनके स्वयं के लेखन का भी कई भाषाओँ में अनुवाद हुआ है. यह कविता उनके संकलन 'ईवनिंग ब्रिनग्ज़ एवरीथिंग बैक ' से है.
इस कविता का मूल एस्टोनियन से अंग्रेजी में अनुवाद फियोना सैम्प्सन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
अवचेतन में पड़ी स्मृतियों में सहेजे अनुभवों को कोई मामूली सी बात या घटना कुरेद का जगा देती है और वह अनुभव उभर कर हमसे तादात्म्य स्थापित कर लेता है थिदी देर को हम उस अनुभव के तद्रूप हो जाते हैं .......सुन्दर कविता ,सुन्दर अनुवाद !
जवाब देंहटाएंbahut sundar..
जवाब देंहटाएंयादें बड़ी अजीब होती हैं, कितना ही बुकमार्क करके रख लो, कितना ही मोस्ट इम्पोर्टेन्ट का मार्क लगा लो आएंगी बेतरतीब ही।
जवाब देंहटाएंYou can't bookmark infinity after all.