सोमवार, फ़रवरी 03, 2014

शब्द, फैली रात

फॉर वावा,मार्क शगाल
For Vava, Marc Chagall


इस फैली रात और हमारे बीच के फासले के 
दूसरे छोर पर कहीं, मैं सोच रही हूँ तुम्हारे बारे में.
कमरा धीमे-धीमे चाँद से मुँह मोड़ रहा है.

यह सुखद है. या इसे काट दूँ और कहूँ कि 
यह दुखद है? न जाने किस काल में गाती हूँ मैं 
चाह का असम्भव गीत...ला..लला..ला.. देखा?

इसे तुम सुन नहीं सकते. आँखें मूँद, 
उन अँधेरी पहाड़ियों की कल्पना करती हूँ मैं 
तुम तक पहुँचने के लिए जिन्हें पार करना 
होगा मुझे. क्योंकि प्रेम करती हूँ मैं तुमसे और 
वह ऐसा लगता है, या यूँ कहूँ कि शब्दों में ऐसा लगता है. 


-कैरल एन डफ्फी



 कैरल एन डफ्फी ( Carol Ann Duffy )स्कॉट्लैंड की कवयित्री व नाटककार हैं. वे मैनचेस्टर मेट्रोपोलिटन युनिवेर्सिटी में समकालीन कविता की प्रोफ़ेसर हैं. 2009 में वे ब्रिटेन की पोएट लॉरीअट नियुक्त की गईं. वे पहली महिला व पहली स्कॉटिश पोएट लॉरीअट हैं. उनके स्वयं के कई कविता संकलन छ्प चुके हैं. उन्होंने कई कविता संकलनों को सम्पादित भी किया है. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक सम्मान व अवार्ड मिल चुके हैं. सरल भाषा में लिखी उनकी कविताएँ अत्यंत लोकप्रिय हैं व स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा भी हैं. यह कविता उनके 1990 में प्रकाशित संकलन 'दी अदर कंट्री ' से है, जिसे टी एस एलीअट प्राइज़ मिला था.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़  

1 टिप्पणी:

  1. कैरल! रीनू! प्रेम कविता उतनी ही अनुवादक की हो जाती है जितनी वो कभी कवि की थी! :-)

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