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ग्रीन इयर्स ऑफ़ व्हीट, विन्सेंट वान गोग |
कहो कि मुझसे प्यार करती हो...
ताकि मैं सुन्दर हो जाऊं
कहो कि मुझसे प्यार करती हो...
कि मेरी उँगलियाँ सोने की हो जाएँ
और मेरा माथा दिये-सा दमके
कहो कि मुझसे प्यार करती हो
ताकि मैं पूरी तरह बदल जाऊं
और बन जाऊं
एक गेहूं की डाली या एक पेड़
अब कह भी दो, हिचकिचाओ मत
कोई-कोई प्यार देर नहीं सह पाते
कहो कि मुझसे प्यार करती हो
ताकि मेरा दैवत्व और बढ़ जाए
और मेरी प्रेम कविताएँ
बन जाएँ एक पावन ग्रन्थ
अगर तुम चाहो तो मैं कैलेंडर भी बदल दूंगा
कुछ मौसम मिटा दूंगा, कुछ जोड़ दूंगा
और पुराना साल मेरे हाथों में निरस्त्र-सा होगा
मैं औरतों का राज्य स्थापित कर दूंगा.
कहो कि मुझसे प्यार करती हो
ताकि मेरी कविताएँ तरल हो जाएँ
और मेरी लिखावट बहुत सुन्दर
अगर तुम मेरी प्रिय होती
तो मैं घोड़े और जहाज़ लेकर
सूरज पर चढ़ाई कर देता.
संकोच मत करो...यही एक मौका है
मेरे इश्वर बनने का...या पैगम्बर.
-- निजार क़ब्बानी
इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद लेना जाय्युसी और नाओमी शिहाब नाए ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
aspiration to be recognized by someone we love makes everything about us and our life and what we do so much more meaningful.
जवाब देंहटाएंअनुवादक भी नज़रबंद प्यार को आज़ाद करने में किस कदर जुटा है :-)
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