शनिवार, सितंबर 24, 2011

देर रात तक क्यों जागते हो तुम ?

लुकिंग इनटू बेरिल पूल,
चाइल्ड हासम
Looking Into Beryl Pool,
Childe Hassam

सच में जानना चाहते हो तो बताता हूँ मैं :
याद है दो साल पहले का वह दिन जो तुमने गँवा दिया था 
पत्थरों वाले तालाब पर जहाँ बैठ कर तुम किसी जौहरी की तरह 
खेल रहे थे उन सभी पत्थरों से जो तुमने किनारे से चुराए थे ?
उन में से काफी तो कुछ नहीं बस स्याह थे
मगर कभी-कभी झलका देता था कोई एक वह रहस्यमय रंग 
जो अपनी पथरीली नींद में कहीं उसने कैद कर रखा था.
कौन-सा पत्थर रखना हैं यह तुम्हें इसी तरह पता चला था.

तो जिन में कुछ सम्भावना दिखाई देती हैं मुझे 
मैं दिन की वे नीरस-सी चीज़ें बटोरता हूँ 
जो मृत हैं मगर फिर भी जिन में है कोई आश्चर्यजनक बात 
जो मैं नहीं जानता, और मेरे पास मदद के लिए तालाब भी नहीं है--
तो मैं उन्हें देखता रहता हूँ देखता रहता हूँ जब तक 
कोई एक चीज़ मेरे आँखों में आईना ना बना दे  
फिर मैं उसे उजला करने के लिए आंसू से रंगता हूँ.
इसीलिए मैं देर रात तक जगता हूँ. 


-- डान पेटरसन


डान पेटरसन ( Don Paterson ) स्कॉटलैंड के कवि,लेखक  व संगीतकार हैं. वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ सेंट एंड्रूज़ में अंग्रेजी पढ़ाते हैं, लन्दन के प्रकाशक 'पिकाडोर' के लिए पोएट्री एडिटर हैं और एक बेहतरीन जैज़ गिटारिस्ट हैं . अपने पहले कविता संकलन 'निल निल' से ही उन्हें पहचाना जाने लगा व अवार्ड मिलने लगे. अपने संकलन ' गाडज़ गिफ्ट टू विमेन ' के लिए उन्हें टी एस एलीअट प्राइज़ प्राप्त हुआ. उनके एक और संकलन 'लैंडिंग लाईट ' को विटब्रेड पोएट्री अवार्ड व फिर से टी एस एलीअट प्राइज़ प्राप्त हुआ. उन्होंने दूसरी भाषाओँ से अंग्रेजी में बहुत अनुवाद भी किया है जिन में से सबसे उल्लेखनीय स्पेनिश कवि अंतोनियो मचादो व जर्मन कवि रिल्के की रचनाएँ हैं. उन्होंने कई कविता संकलनों का संपादन किया है, नाटक लिखे हैं व विशेष रूप से रेडियो नाटक लिखे हैं.


इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

1 टिप्पणी: