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| द टेलीफोन, तमारा द लेम्पिका The Telephone, Tamara de Lempicka |
एक-दूसरे की आँखों में,
और मूक लोग तुष्ट हो जाएँ,
एक प्रयास किया है
सरकार ने, फैसला लिया है
कि हर व्यक्ति को मिलेंगे केवल
एक सौ सरसठ शब्द, हर रोज़.
जब फ़ोन बजता है, बिना हेलो कहे
मैं उसे कान से लगाता हूँ. रेस्तराँ में
चिकन नूडल सूप की ओर कर देता हूँ इशारा.
खूब ढाल लिया है खुद को मैंने इस नयी चाल में.
देर रात, जब मैं करता हूँ फ़ोन
अपनी दूर-बसती प्रेमिका को
गर्व से उसे कहता हूँ
आज मैंने केवल उनसठ खर्च किये
बाकी बचाए हैं तुम्हारे लिए.
जब वो जवाब नहीं देती, मैं जान जाता हूँ
कि वो अपने सारे शब्द इस्तेमाल कर चुकी है,
तो मैं धीमे-से फुसफुसाता हूँ आई लव यू
बत्तीस गुणा तीन बार.
फिर दोनों कान से फोन लगाये बैठे रहते हैं
सुनते रहते हैं एक-दूसरे की साँसों की आवाज़.
-- जेफ्फ्री मकडेनिअल
जेफ्फ्री मकडेनिअल ( Jeffrey McDaniel ) एक अमरीकी कवि हैं. स्कूल के समय से ही वे साहित्यिक गतिविधियों से जुड़ने लगे थे. कॉलेज में वे कॉलेज की राष्ट्रिय साहित्य पत्रिका के सम्पादक थे. वे पोएट्री थियेटर व पोएट्री स्लेम जैसी गतिविधियों में भाग लेने लगे. पढाई पूरी करने के बाद उनका सारा समय लेखन, कविता और क्रिएटिव राइटिंग पढ़ाने में व उसे लोकप्रिय बनाने में बीतता है. वे पोएट्री इन कम्युनिटी प्रोजेक्ट्स से जुड़े हुए हैं और खासकर स्कूली छात्रों को कविता से जोड़ने के प्रयास में रत हैं. यह कविता उनके संकलन 'द फॉरगिवनेस परेड 'से है.इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़


एनकी क्रोक ( Antjie Krog ) दक्षिणी अफ्रीका की कवयित्री व लेखिका हैं. जिन वर्षों में रंग-भेद अपनी चरम पर था, उन्होंने अपनी स्कूल पत्रिका के लिए रंग-भेद विरोधी कविता लिखी, जिसने उनके आफ्रिकान समुदाय में खलबली मचा दी व देश के मीडिया को उन पर केन्द्रित कर दिया. अपनी शिक्षा समाप्त करने के बाद उन्होंने ब्लैक साउथ-अफ्रीकी लोगों के टीचर्ज़ कॉलेज में शिक्षक होना पसंद किया. बाद में वे एक आफ्रिकांस पत्रिका की सम्पादक भी रहीं व रेडियो प्रोग्रामों में भी शामिल होती रहीं. उनका पहला कविता संकलन 17 वर्ष की आयु में प्रकाशित हुआ था. वे आफ्रिकांस में लिखती हैं. उनके 9 कविता संकलन और प्रकाशित हुए, जिनमे से एक अंग्रेजी में है. उन्होंने उपन्यास व नाटक भी लिखे हैं. वे अपने उपन्यास 'कंट्री ऑफ़ माय स्कल ' के लिए सब से अधिक जानी जाती हैं. यह कविता उनके संकलन 'डाउन टू माय लास्ट स्किन' से है.
इस्माइल कदारे ( Ismail Kadare )अल्बेनिया के कवि व लेखक हैं. अब वे अपने उपन्यासों के लिए अधिक जाने जाते हैं मगर पहले अपनी कविताओं से ही पहचाने जाने लगे थे. 2005 में मैन-बुकर का इंटरनैशनल लिटरेचर प्राइज़ सर्वप्रथम उन्हें ही प्राप्त हुआ था. वे अल्बेनिया के इलावा फ़्रांस में काफी समय व्यतीत करते हैं, और उनकी कविताएँ व उपन्यास फ्रेंच में खूब अनूदित हुए हैं. यहाँ तक कि अंग्रेजी में उनके लेखन का अनुवाद अधिकतर फ्रेंच से किया गया है न की अल्बेनियन से. 40 देशों में उनके किताबें प्रकाशित हुई हैं व 30 भाषाओँ में उनके लेखन का अनुवाद हुआ है. बुकर प्राइज़ सहित उन्हें कई पुरुस्कार प्राप्त हुए हैं व नोबेल प्राइज़ के लिए वे कई बार नामित किये जा चुके हैं.
वीस्वावा शिम्बोर्स्का ( Wislawa Szymborska ) पोलैंड की कवयित्री, निबंधकार व अनुवादक हैं. उनकी युवावस्था लगभग संघर्ष में ही बीती -- द्वितीय विश्व-युद्ध और उसके पोलैंड पर दुष्प्रभाव, कम पैसे होने की वजह से पढाई छोड़ देना, छुट-पुट नौकरियां, पोलैंड में साम्यवाद का लम्बा दौर. इस सब के बावजूद उनकी साहित्यिक व कलात्मक गतिविधियाँ जारी रही. उन्होंने अख़बारों व पत्रिकाओं में मूलतः साहित्य के विषय पर खूब लिखा. उन्होंने बहुत प्रचुरता में नहीं लिखा. उनकी केवल २५० कविताएँ प्रकाशित हुईं. लेकिन उनका काम इतना सराहनीय था की पूरे विश्व में पहचानी जाने लगी. 1996 में उन्हें नोबेल पुरूस्कार से सम्मानित किया गया. उनकी कविताओं व निबंधों का अनेक भाषाओँ में अनुवाद किया गया है.





