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सेलिंग बोट्स, मिकालोयुस चिर्लोनियस Sailing Boats, Mikalojus Ciurlionis |
कि हम कहाँ जा रहे हैं
नावें जानती हैं कि वे किस ओर बह रही हैं,
मछलियाँ जानती हैं कि वे कहाँ तैर रही हैं,
पंछी जानते हैं कि वे किस ओर उड़ रहे हैं
फिर भी हम पानी में छटपटाते हैं
मगर डूबते नहीं
हम पहनते हैं यात्रा के कपड़े
मगर यात्रा नहीं करते
हम पत्र लिखते हैं
मगर उन्हें भेजते नहीं
हम टिकट खरीदते हैं
जाने वाले सभी जहाज़ों का
मगर एअरपोर्ट में ही रह जाते हैं
तुम और मैं
हम दुनिया के सबसे कायर यात्री हैं.
-- निज़ार क़ब्बानी
इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद बस्सम के फ्रंगिया ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
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जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता !...उद्यमेन हि प्रपद्यन्ति कार्याणि न मनोरथै !
आभार रीनू जी ,प्रस्तुति और अनुवाद के लिए !
मानव मन यही कायर उड़ानें भरने के लिए अभिशप्त है.
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