कपल वाचिंग, पाब्लो पिकासो Couple Watching, Pablo Picasso |
सेन सड़क के उस कोने पर
जहाँ एक और सड़क आकर मिलती है
एक आदमी लड़खड़ाता है
एक नौजवान
हैट पहने
रेनकोट पहने
एक औरत उसे पकड़ के झकझोर रही है
झकझोर रही है
और कुछ कह रही है
और वह सर हिला रहा है - नहीं
उसका हैट इधर-उधर हो रहा है
और औरत का तो पीछे गिरने ही वाला है
दोनों के चेहरे पीले पड़ गए हैं
आदमी का मन है कि वहाँ से चला जाए
गायब हो जाए...मर जाए
मगर औरत की जीने की तीव्र इच्छा है
और उसकी आवाज़
उसकी फुसफुसाती आवाज़
चाह कर भी बिना सुने नहीं रह सकते
वह एक आह है
एक आदेश
एक पुकार
कितनी आतुर है यह आवाज़
और उदास
और जीवित
सर्दियों के कब्रिस्तान में
कब्र पर ठिठुरते नए-जन्मे बीमार बच्चे-सी
दरवाज़े में दबे हाथ कि दर्दभरी आवाज़
एक गीत
एक वाक्य
हमेशा वही
दोहराया हुआ
एक वाक्य
बिना रुके
बिना जवाब
आदमी उसे देख आँखे फेर लेता है
अपनी बाहों को हिलाता है
एक डूबते हुए की तरह
और वाक्य फिर फूट पड़ता है
सेन सड़क के उस कोने पर
जहाँ एक और सड़क आकर मिलती है
औरत बोलती जा रही है
बिना थके
पूछती जा रही है अपना बेचैन सवाल
न भर पाने वाला घाव
पिएर, सच क्या है
पिएर, सच क्या है
मुझे सब जानना है
सच-सच कहो मुझसे
औरत का हैट गिर जाता है
पिएर, मुझे सब जानना है
सच-सच कहो मुझसे
महान बेवकूफी का सवाल
पिएर को जवाब देना होगा
वह हार गया
वह जिसका नाम पिएर है
उसकी एक मुस्कान है
जिसे वह बिखेरना चाहता है
और बार-बार कह रहा है
देखो, शांत हो जाओ, तुम पगला रही हो
मगर उसे नहीं लगता वह ठीक से कह पा रहा है
वह देख नहीं रहा
वह देख नहीं पा रहा
कैसे मुस्कान से उसका चेहरा विकृत हो रहा है
उसका दम घुट रहा है
मानो सारी दुनिया उसपर चढ़ बैठी हो
और वह सांस नहीं ले पा रहा
मानो वह बंदी हो
अपने ही वायदों का
अब उस से हिसाब माँगा जा रहा है
सामने है
एक हिसाब करने वाली मशीन
एक प्रेम-पत्र लिखने वाली मशीन
एक सहने वाली मशीन
जो उसे दबोच लेती है...
उस पर लटक जाती है ...
पिएर, सच-सच कहो मुझसे
-- याक प्रेवेर
याक प्रेवेर ( Jacques Prévert )फ़्रांसिसी कवि व पटकथा लेखक थे. अत्यंत सरल भाषा में लिखी उनकी कविताओं ने उन्हें फ्रांस का, विक्टर ह्यूगो के बाद का, सबसे लोकप्रिय कवि बना दिया. उनकी कविताएँ अक्सर पेरिस के जीवन या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जीवन के बारे में हैं. उनकी अनेक कविताएँ स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं व प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गयी हैं. उनकी लिखी पटकथाओं व नाटकों को भी खूब सराहा गया है. उनकी यह कविता उनके सबसे प्रसिद्द कविता संग्रह 'पारोल' से है.
इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
मानो वो बंदी हो
जवाब देंहटाएंअपने ही वायदों का
अब उस से हिसाब माँगा जा रहा है
सामने है
वो कभी नहीं भूलती उससे किये वादे और पुरुष को आते हैं भूलने और न पूरा कर सकने वाले वादे!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (09-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बेहतरीन भाव
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय कविता!......मुझे बहुत अच्छा लगा!.....बहुत सुन्दर!!!!!!!
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