गुरुवार, अक्तूबर 11, 2012

कम चाहोगे...

एक्सेंट ऑन रोज़, वैसिली कैँडिनस्की
Accent on Rose, Wassily Kandinsky



कम चाहोगे: सब होगा तुम्हारे पास
कुछ नहीं चाहोगे: तुम मुक्त हो जाओगे.
वही प्रेम जिस से हमें प्रेम किया जाता है
पीड़ित करता है हमें अपने चाहने से.




-- फेर्नान्दो पेस्सोआ ( रिकार्दो रेइस)



 फेर्नान्दो पेस्सोआ ( Fernando Pessoa )20 वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के महानतम कवियों में उनकी गिनती होती है. यह कविता उन्होंने रिकार्दो रेइस ( Ricardo Reis )के झूठे नाम से लिखी थी. अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने 72 झूठे नामों या हेट्रोनिम् की आड़ से सृजन किया, जिन में से तीन प्रमुख थे. और हैरानी की बात तो यह है की इन सभी हेट्रोनिम् या झूठे नामों की अपनी अलग  जीवनी, दर्शन, स्वभाव, रूप-रंग व लेखन शैली थी. पेस्सोआ  के जीतेजी उनकी एक ही किताब प्रकाशित हुई. मगर उनकी मृत्यु के बाद, एक पुराने ट्रंक से उनके द्वारा लिखे 25000 से भी अधिक पन्ने  मिले, जो उन्होंने अपने अलग-अलग नामों से लिखे थे. पुर्तगाल की नैशनल लाइब्रेरी में इनके सम्पादन का काम आज भी जारी है. यह कविता उनके संकलन 'ओड्ज़' से है.
इस कविता का मूल पोर्त्युगीज़ से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

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