शुक्रवार, अक्तूबर 19, 2012

एक हज़ार प्रभात

नाईट, मार्क शगाल
Night,  Marc Chagall 
किसी तरह
रात भर राह बनाता है मन
अनिश्चितताओं की ऊबड़खाबड़
ज़मीन पर,
मगर केवल तभी तक
जब प्रभात से मिलती है रात
और फिर अभिभूत हो जाती है,
गहराने लगता है उजाला
हवा शांत होने लगती है
और करने लगती है केवल प्रतीक्षा,
जैसे कि मैं करती हूँ
(और क्या कभी निराश भी हुई हूँ ?)
लाल पंछी के गीत की.



-- मेरी ओलिवर



Mary Oliver मेरी ओलिवर ( Mary Oliver )एक अमरीकी कव्यित्री हैं, जो 60 के दशक से कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. उनके 25 से अधिक कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं और बहुत सराहे गए हैं. उन्हें अमरीका के श्रेष्ठ सम्मान 'नेशनल बुक अवार्ड' व 'पुलित्ज़र प्राइज़' भी प्राप्त हो चुके हैं. उनकी कविताएँ प्रकृति की गुप-चुप गतिविधियों के बारे में हैं, जैसे वो धरती और आकाश के बीच खड़ीं सब देख रहीं हैं. और  उनकी कविताओं में उनका अकेलेपन  से प्यार, एक निरंतर आंतरिक एकालाप व स्त्री का प्रकृति से गहरा सम्बन्ध भी दिखाई देता है.. यह कविता उनके संकलन 'अ थाउजेंड मोर्निन्ग्ज़' से है.
इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुदर कविता ! प्रभात तक ही तो सभी राहें जाती हैं ...और लाल पंछी ,मैं भी सुनना चाहता हूँ उसका गीत !
    आभार रेनू जी सुन्दर अनुवाद और प्रस्तुति केलिए !

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