ऑटम लैंडस्केप एट डस्क, विन्सेंट वान गोग Autumn Landscape at Dusk, Vincent Van Gogh |
काटते थे एक-दूसरे को और आगे बढ़ जाते थे;
या था वह आशान्वित यात्रियों से भरा स्टेशन,
हालाँकि एक के पास भी न ठहरने की जगह थी
न कोई असली नौकरी.
जो भी था -- मेरा मन, एक ही दिन में,
बिखरता था हजारों हवाओं पर, और उड़ता था
दर्रों, रेगिस्तानों, नदी के मैदानों
और घाटियों में से
अँधेरे बंदरगाहों, समुद्री गलियारों,
अपरिचित महाद्वीपों तक.
मगर अब, छत्ते को लौटते झुण्ड की तरह
इस श्याम-सी बेला में
जब सभी कौवे बोल-बोल कर थक जाते हैं
और उड़ कर बैठ जाते हैं चट्टानों
या छज्जों पर,
सौ फूलों से एकत्रित शहद के साथ
और घिरते अँधेरे से एकत्रित सौ दुखों के साथ
लौटता है मेरा मन अपने उदास काम पर.
-- डान पेटरसन
डान पेटरसन ( Don Paterson ) स्कॉटलैंड के कवि,लेखक व संगीतकार हैं. वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ सेंट एंड्रूज़ में अंग्रेजी पढ़ाते हैं, लन्दन के प्रकाशक 'पिकाडोर' के लिए पोएट्री एडिटर हैं और एक बेहतरीन जैज़ गिटारिस्ट हैं . अपने पहले कविता संकलन 'निल निल' से ही उन्हें पहचाना जाने लगा व अवार्ड मिलने लगे. अपने संकलन ' गाडज़ गिफ्ट टू विमेन ' के लिए उन्हें टी एस एलीअट प्राइज़ प्राप्त हुआ. उनके एक और संकलन 'लैंडिंग लाईट ' को विटब्रेड पोएट्री अवार्ड व फिर से टी एस एलीअट प्राइज़ प्राप्त हुआ. उन्होंने दूसरी भाषाओँ से अंग्रेजी में बहुत अनुवाद भी किया है जिन में से सबसे उल्लेखनीय स्पेनिश कवि अंतोनियो मचादो व जर्मन कवि रिल्के की रचनाएँ हैं. उन्होंने कई कविता संकलनों का संपादन किया है, नाटक लिखे हैं व विशेष रूप से रेडियो नाटक लिखे हैं. यह कविता उनके संकलन 'आईज ' से है, जिसे स्पेनिश कवि अंतोनियो मचादो की कविताओं का अनुवाद भी कहा जा सकता है, या कहा जा सकता है की ये कविताएँ, उनकी कविताओं से प्रेरित हैं.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
दिल वो पागल दिल मेरा.कभी उड़ता फिरता था अब उदास डाल पर थककर लौट आता है.
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