बुधवार, अक्तूबर 03, 2012

गहरा दुःख

हेड ऑफ़ लोरेट, ऑनरी मातीस
Head of Lorette, Henri Matisse
गहरा दुःख, तुम्हारा उपहार, खुला हुआ,
मेरे खाली हाथ भारी हो गए हैं,
जैसे होते थे तब जब तुम्हें थामती थी
एक पीड़ की तरह; अप्रत्याशित,
हालाँकि अब मेरी आँखें भीतर देखती हैं एकटक
वहीँ जहाँ होते थे तुम, मेरे सितारे, मेरे सितारे;
और मैं योग्य नहीं थी, तुम थे, जिसके पास सब है
उसके लिए, उचित चुनाव, मेरे मन को
नम्रता से भरते; अनचाहा था, मेरी अंतर्मन की
आवाज़ के पास
आभारी होने के लिए शब्दों का ना होना;
असाधारण है कैसे वह, मानो प्रदत्त,
बढ़ती है भरने के लिए
एक दिन, एक रात, एक सप्ताह, एक माह,
सिखाती अपने सूत्र,
यह प्रेम की कुंवारी जुड़वाँ बहन,
मेरा सर झुका है,
और मैं सीख रही हूँ, सीख रही हूँ; समझ गयी.


-- कैरल एन डफ्फी



 कैरल एन डफ्फी ( Carol Ann Duffy )स्कॉट्लैंड की कवयित्री व नाटककार हैं. वे मैनचेस्टर मेट्रोपोलिटन युनिवेर्सिटी में समकालीन कविता की प्रोफ़ेसर हैं. 2009 में वे ब्रिटेन की पोएट लॉरीअट नियुक्त की गईं. वे पहली महिला व पहली स्कॉटिश पोएट लॉरीअट हैं. उनके स्वयं के कई कविता संकलन छ्प चुके हैं. उन्होंने कई कविता संकलनों को सम्पादित भी किया है. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक सम्मान व अवार्ड मिल चुके हैं. सरल भाषा में लिखी उनकी कविताएँ अत्यंत लोकप्रिय हैं व स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा भी हैं. यह कविता उनके 2005 में छपे संकलन ' रैप्चर ' से है, जिसे टी एस एलीअट प्राइज़ मिला था.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़  

1 टिप्पणी: