मंगलवार, नवंबर 20, 2012

खुले में

फारेस्ट. ऑटम, इवान शिशकिन
Forest, Autumn, Ivan Shishkin
पतझड़ के अंत की भूलभुलैया।
जंगल के प्रवेश स्थल पर फेंकी हुई खाली बोतल.
जाओ भीतर. इस मौसम में वन हैं मौन उजाड़ कक्ष.
केवल कुछ ही तरह की आवाजें आती हैं: जैसे कोई बड़ी सावधानी से
चिमटी से पल्लव हटा रहा हो.

या पेड़ के मोटे तने के भीतर कोई कब्ज़ा हौले-से चरचरा रहा हो.
पाला छोड़ता है अपनी सांस कुकुरमुत्तों पर और वे कुम्हला गए हैं.
वे हैं उन चीज़ों या वस्त्रों की तरह जो खो जाने के बाद फिर मिलते हैं.
अब धुंधला रहा है उजाला. अब समय है बाहर निकल कर
अपने थल चिन्हों को फिर देखने का: खेत में पड़ा वह ज़ंग लगा औज़ार
और झील के उस छोर स्थित वह घर, एक गेरुआ चौकोर
जो शोरबे में घुलती डली-सा पक्का है.




-- तोमास त्रांसत्रोमर 



 तोमास त्रांसत्रोमर ( Tomas Tranströmer )स्वीडन के लेखक, कवि व अनुवादक हैं जिनकी कविताएँ न केवल स्वीडन में, बल्कि दुनिया भर में सराही गयीं हैं. उन्हें 2011 का नोबेल पुरुस्कार प्राप्त हुआ है. उन्होंने 13 वर्ष की आयु से ही लिखना शुरू कर दिया था. उनके 12 से अधिक  कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं व उनकी कविताएँ लगभग 50 भाषाओँ में अनूदित की गईं हैं. उन्हें अपने लेखन के लिए अनेक सम्मान प्राप्त हुए है जिनमे इंटरनैशनल पोएट्री फोरम का स्वीडिश अवार्ड भी शामिल है. वे नोबेल प्राइज़ के लिए कई वर्षों से नामित किये जा रहे थे. लेखन के इलावा वे जाने-माने मनोवैज्ञानिक भी थे, जो कार्य उन्हें स्ट्रोक होने के बाद छोड़ना पड़ा. उनका एक हाथ अभी भी नहीं चलता है, मगर दूसरे हाथ से वे अब भी लिखते हैं. यह कविता  उनके संकलन 'बेल्ज़ एंड ट्रैकस'से है.

इस कविता का मूल स्वीडिश से अंग्रेजी में अनुवाद उनके कवि रोबेर्ट फुल्टन ने किया है.

2 टिप्‍पणियां:

  1. धुंधलाते उजाले में घर, एक गेरुआ चौकोर जो शोरबे में घुलती डली-सा पक्का है.ऐसी कल्पना त्रांसत्रोमर ही कर सकते हैं.निर्जन वन का सन्नाटा मुखर है.

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  2. वाह ...खूबसूरत मंजरकशी !ट्रांसट्रोमर की सौन्दर्यदृष्टि का जवाब नहीं ! कविता के लिए शुक्रिया !

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