मिस्टी मार्निंग ऑन द सेन, सनराइज, क्लौद मोने Misty Morning on the Seine, Sunrise, Claude Monet |
प्रकट होते हो तुम घाटी में
तुम्हारे सूर्य की पहली रश्मि होती है
अवतरित छूने के लिए कुछ
ऊँचे पत्तों को जिनमें नहीं है कोई हलचल
मानो उन्होंने दिया ही न हो ध्यान
और तुम्हें बिलकुल ही न जानते हों
फिर उठता है एक कबूतर का स्वर
कहीं दूर से स्वयं में मग्न
जो पुकारता है भोर की नीरवता को
तो यह है स्वर तुम्हारे
यहाँ और इस पल होने का
चाहे कोई इसे सुन पाए न सुन पाए
यह है वह स्थान जहाँ हम पहुँच चुके हैं
अपने युग के साथ अपने ज्ञान के साथ
जैसा भी वह है
और अपनी आशाओं के साथ
जैसी भी वे हैं
हमारे सामने अदृश्य
अछूती और अभी भी संभव
-- डब्ल्यू एस मर्विन
डब्ल्यू एस मर्विन ( W S Merwin )अमरीकी कवि हैं व इन दिनों अमरीका के पोएट लॉरीअट भी हैं.उनकी कविताओं, अनुवादों व लेखों के 30 से अधिक संकलन प्रकाशित हो चुके हैं .उन्होंने दूसरी भाषाओँ के प्रमुख कवियों के संकलन, अंग्रेजी में खूब अनूदित किये हैं, व अपनी कविताओं का भी स्वयं ही दूसरी भाषाओँ में अनुवाद किया है.अपनी कविताओं के लिए उन्हें अन्य सम्मानों सहित पुलित्ज़र प्राइज़ भी मिल चुका है.वे अधिकतर बिना विराम आदि चिन्हों के मुक्त छंद में कविता लिखते हैं.यह कविता उनके संकलन 'प्रेजेंट कंपनी' से है..
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
विश्व-शांति को टटोलती हुई कविता ! काश उस कबूतर के स्वर को सब सुन पायें !
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