![]() |
द डेन, रॉय लिचटेनष्टाइन The Den, Roy Lichtenstein |
तुम अकेले हो. फिर दस्तक होती है
अन्दर लाते हो उसे. कुछ समय तक
रिश्तेदार भी हैं. जल्दी ही
वे आ धमकते हैं. उनमें से
कोई काम नहीं करता.
कोई काम नहीं करता.
वे ज़मीन पर सोते हैं और चुरा लेते हैं
तुम्हारे टेनिस के जूते.
तुम्हीं ने शुरू किया था न ये सब. जो जैसा
था उसे वैसा छोड़ देने में तुम्हें ही चैन नहीं
पड़ता था. अब तुम्हारे कमरे का बुरा हाल है,
और रिमोट जाने कहाँ गायब हो गया है.
था उसे वैसा छोड़ देने में तुम्हें ही चैन नहीं
पड़ता था. अब तुम्हारे कमरे का बुरा हाल है,
और रिमोट जाने कहाँ गायब हो गया है.
शादीशुदा होना भी कुछ
ऐसा ही है. तुम्हें केवल अपनी
पत्नी ही नहीं मिलती, बल्कि
मिलता है उसके परिवार का पागलपन भी.
मिलता है उसके परिवार का पागलपन भी.
अब देखो तो ज़रा कि क्या हुआ है?
तुम्हारी गाड़ी कहाँ है? तुम्हें
नहीं मिल पाएँगी चाबियाँ
नहीं मिल पाएँगी चाबियाँ
अब एक हफ्ते तक.
-- रोबर्ट ब्लाए
रोबर्ट ब्लाए ( Robert Bly ) अमरीकी कवि,लेखक व अनुवादक हैं. 36 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित हुआ, मगर उस से पहले साहित्य पढ़ते समय उन्हें फुलब्राईट स्कॉलरशिप मिला और वे नोर्वे जाकर वहां के कवियों की कविताओं का अनुवाद अंग्रेजी में करने लगे. वहीं पर वे दूसरी भाषाओँ के अच्छे कवियों से दो-चार हुए - नेरुदा, अंतोनियो मचादो, रूमी, हाफिज़, कबीर, मीराबाई इत्यादि. अमरीका में लोग इन कवियों को नहीं जानते थे. उनके अनेक कविता संग्रह प्रकाशित हुए और उन्होंने खूब अनुवाद भी किया है. अमरीका के वे लोकप्रिय कवि हैं और यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिनेसोटा में उनके लिखे 80,000 पन्नों की आर्काइव है, जो उनका लगभग पचास वर्षों का काम है. यह कविता उनके संकलन 'ईटिंग द हनी ऑफ़ वर्डज़ ' से है.

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
बहुत ही बेहतरीन रचना है,आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा काम आप कर रहे है । आपका बहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंक्या मैं एक विनंती करूँ अगर अनुवाद के साथ आप मूल रचना भी भी पोस्ट करे तो पढ़नेवालों के बहुत सुविधा होगी और वो अनुवाद को मूल रचना से तुलनात्मक रूप से जोड़कर भी देख सकेगा
बहुत ही अच्छा काम आप कर रहे है । आपका बहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंक्या मैं एक विनंती करूँ अगर अनुवाद के साथ आप मूल रचना भी भी पोस्ट करे तो पढ़नेवालों के बहुत सुविधा होगी और वो अनुवाद को मूल रचना से तुलनात्मक रूप से जोड़कर भी देख सकेगा
कल आबिदजी ने एक जोक भेजा था'शादी करना अपनी सुपारी देने जैसा है.सारा जीवन अव्यस्थित हो जाता है.'
जवाब देंहटाएं