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वो एक और चेहरा/ थकान. जब मैं थकान कहता हूँ, मेरा अभिप्राय है रोज़मर्रा का जीवन. थकान एक औरत है और है एक आदमी. थकान कुर्सी है या है कैफ़े. थकान परछाई है और है अन्धकार. वह चाँद और सूरज भी है.
इन दिनों की, थकान के इन दिनों की अपनी किताबें हैं, हर कदम एक शब्द है. और शब्द कभी चुकते नहीं हैं.
एक और चेहरा / एक मिश्रण घुल रहा है, अलग-अलग हो रहा है,
घुल रहा है कभी ना रुकते हुए वृत्तों में.
और हर चेहरा अकेला है, तब भी जब वह दूसरे को गले लगाता है.
एक और चेहरा/ एक क्षणिक उपस्थिति कविता और स्वप्न को छूने के लिए बढ़ती है. इस यथार्थ को आप गले लगाना चाहते हैं, उसमें बसना चाहते हैं, क्योंकि बनावट कविता-सी है, प्रसार स्वप्न-सा है, मगर हर कदम की अपनी लय है और अपना क्षितिज. एक और चेहरा/ अलगाव और जुड़ाव के बीच बहस, बहस उपस्थिति और अनुपस्थिति के बीच. और इस तरह जब चलते हैं हमीदिया सूक में, तो ऐसा लगता है जैसे आप चीज़ों को देखते हैं और नहीं भी देखते, जैसे कि जो आप देख सकते हैं उसमें खोज रहे हैं वह जो आप देख नहीं सकते.
-- अदुनिस
अली अहमद सईद अस्बार ( Ali Ahmed Said Asbar ), जो 'अदुनिस' ( Adonis )के नाम से लिखते हैं, सिरिया के प्रसिद्ध कवि व लेखक हैं. वे आधुनिक अरबी कविता के पथप्रदर्शक हैं, जिन्होंने पुरानी मान्यताओं से विद्रोह कर कविता के अपने ही नियम बनाये हैं. अब तक अरबी में उनकी 20से अधिक किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. उनके अनेक कविता संग्रह अंग्रेजी में अनूदित किये जा चुके हैं. अभी हाल-फिलहाल में, अगस्त माह के आखिरी सप्ताह में ही उन्हें 2011 के गेटे ( Goethe) पुरुस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें जल्द ही नोबेल प्राइज़ भी मिलेगा , साहित्य जगत में इसकी उम्मीद व अटकलें खूब हैं, वे कई बार नामित भी किये गए हैं. यह कविता उनके 2008 के संकलन 'प्रिंटर ऑफ़ द प्लैनेट्स बुक्स ' से है.
अली अहमद सईद अस्बार ( Ali Ahmed Said Asbar ), जो 'अदुनिस' ( Adonis )के नाम से लिखते हैं, सिरिया के प्रसिद्ध कवि व लेखक हैं. वे आधुनिक अरबी कविता के पथप्रदर्शक हैं, जिन्होंने पुरानी मान्यताओं से विद्रोह कर कविता के अपने ही नियम बनाये हैं. अब तक अरबी में उनकी 20से अधिक किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. उनके अनेक कविता संग्रह अंग्रेजी में अनूदित किये जा चुके हैं. अभी हाल-फिलहाल में, अगस्त माह के आखिरी सप्ताह में ही उन्हें 2011 के गेटे ( Goethe) पुरुस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें जल्द ही नोबेल प्राइज़ भी मिलेगा , साहित्य जगत में इसकी उम्मीद व अटकलें खूब हैं, वे कई बार नामित भी किये गए हैं. यह कविता उनके 2008 के संकलन 'प्रिंटर ऑफ़ द प्लैनेट्स बुक्स ' से है.
इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद खालेद मत्तावा ने किया है.
इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
अद्भुत और गहरी कविता |
जवाब देंहटाएंअद्भुत
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएं