गुरुवार, फ़रवरी 27, 2014

अनुपस्थिति

स्केच, ओगयूस्त रोदें
Sketch, Auguste Rodin

तुमसे बात करता हूँ मैं शहरों के पार 
मैदानों के पार तुमसे बात करता हूँ मैं 
मेरे होंठ तुम्हारे तकिये पर हैं 
दीवार की दोनों सतहें किये हुए हैं अपना मुख 
मेरी आवाज़ की ओर, आवाज़ जो पहचानती है तुम्हें 
मैं तुम से बात करता हूँ शाश्वतता की 

ओ शहरों, शहरों की स्मृतियों 
हमारी चाहों में लिपटे शहरों 
समय से पहले बस चुके शहरों 
बसने में देर करते शहरों 
जिनसे छीन लिए गए हैं सभी राजमिस्त्री, 
सभी विचारक, सभी भटकती आत्माएँ 

देहात का नियम हरियाली है 
सजीव जीवित जीवंत 
आकाश का गेहूं हमारी धरती पर 
पोषित करता है मेरी आवाज़ को 
मैं स्वप्न देखता हूँ और रोता हूँ 
मैं हँसता हूँ और स्वप्न देखता हूँ 
लपटों के बीच धूप के गुच्छों के बीच 
और मेरी देह पर बिछा जाती है तुम्हारी देह 
अपने उज्ज्वल आईने की चादर  


-- पॉल एलुआर














पॉल एलुआर 
(Paul Éluard)फ़्रांसिसी कवि थे व स्यूरेअलीज्म के संस्थापकों में से एक थे. 16 साल की आयु में जब उन्हें टी.बी होने पर स्विटज़र्लैंड के एक सैनिटोरियम में स्वास्थ्य लाभ के लिए भेजा गया, उस समय उनका कविता में रुझान हुआ. उनका पहला कविता संकलन उनके युद्ध में हुए अनुभवों के बाद लिखा गया. उनकी लगभग 70 किताबे प्रकाशित हुई जिनमे, कविता संग्रह व उनके साहित्यिक और राजनैतिक विचार भी हैं. यह कविता उनके 1963 में प्रकाशित संकलन 'देरनिये पोएम दामूर' से है.

इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़         

3 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम और स्मृति की सुन्दर कविता. कवि प्रेमिका को संबोधित करके सब दुःख भूल जाना चाहता है.

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  2. प्रेम शाश्वत है ,फिर भी सभ्यताओं द्वारा अस्वीकृत ही रहा अब तक ....विद्रोही हृदयों में रहते हुए वहीं से आवाज देता है वह ......बहुत सुन्दर कविता ,सुन्दर अनुवाद |

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