क्राउचिंग बेगर, पाब्लो पिकासो Crouching Beggar, Pablo Picasso |
तुम्हारे घर की ओर आते-आते
सड़क के मोड़ पर मिली मुझे
एक बूढ़ी भिखारिन.
उसका हाथ पकड़,
चूमा मैंने उसका कोमल गाल,
हम बातें करते रहे, वह थी
भीतर से बिल्कुल मेरे जैसी,
एक ही स्वभाव की,
जो मैं जल्द ही भाँप गई थी,
जैसे जानता है एक कुत्ता गंध
दूसरे कुत्ते की.
मैंने उसे कुछ पैसे दिए,
उसे छोड़ कर जाना कठिन था मेरे लिए.
जिससे गहरी निकटता हो कोई ऐसा,
आखिर, हरेक को चाहिए.
और,
फिर मुझे पता न रहा
कि तुम्हारे घर की ओर आखिर मैं जा क्यों रही थी.
इस कविता का मूल पोलिश से अंग्रेजी में अनुवाद चेस्वाफ मीवोश एवं लेऑनर्ड नेथन ने किया है.
और,
फिर मुझे पता न रहा
कि तुम्हारे घर की ओर आखिर मैं जा क्यों रही थी.
-- अन्ना श्विर
अन्ना श्विर ( Anna Swir) पोलिश कवयित्री थीं. उनका जन्म वॉरसॉ में हुआ. उनके पिता एक चित्रकार थे. 1930 के दशक में उनकी कविताएं प्रकाशित होने लगीं. द्वितीय विश्व युद्ध के समय, पोलैंड के नाज़ी अधिग्रहण के दौरान वे पोलिश रेज़िस्टेंस मूवमेंट से जुड़ गईं और वॉरसॉ विद्रोह के वक्त उन्होंने सैन्य नर्स का कार्य किया. इस बीच वे भूमिगत प्रकाशनों के लिए लेखन भी रहीं. चेस्वाफ मीवोश लिखते हैं कि वे उन दिनों उनके संपर्क में थे. उन्होंने अन्ना श्विर के एक काव्य संकलन का अनुवाद भी किया है. उनकी कविताओं में युद्ध के अनुभवों का गहरा असर दिखाई देता है. 1974 में उनका 'बिल्डिंग द बैरीकेड' नमक काव्य संकलन प्रकाशित हुआ जो उस समय में देखी-भोगी पीड़ा एवं यातना का दस्तावेज़ है. वे स्त्री के शरीर और उम्र के साथ उसमें बदलावों के बारे में भी बहुत स्पष्ट कविताएँ लिखती थीं. यह कविता उनके 1996 में प्रकाशित हुए संग्रह 'टॉकिंग टू माय बॉडी' से है.
इस कविता का मूल पोलिश से अंग्रेजी में अनुवाद चेस्वाफ मीवोश एवं लेऑनर्ड नेथन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
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