गुरुवार, मई 01, 2014

मौसम बीता जाए

द फैक्ट्री एट आसनिऐर, विनसेंट वान गोग
The Factory at Asnieres, Vincent van Gogh
ठीक मिल के दरवाज़े के सामने 
ठिठकते हैं अचानक मज़दूर के कदम
सुहावना मौसम खींचता है पीछे से
उसकी कमीज और
जब वह मुड़ कर देखता है
गोल-गोल और लाल सूरज को 
मुस्कुराते हुए अपने धूसर आकाश में 
एक आँख दबाकर 
बड़े अपनेपन में पूछ बैठता है  
कहो कामरेड सूरज 
क्या तुम्हें नहीं लगता 
है ये बहुत बड़ा घोटाला 
कि ऐसा सुहावना बासंती दिन 
मिल के मालिक को मिला?


-- याक प्रेवेर 



 
याक प्रेवेर  (Jacques Prévert)फ़्रांसिसी कवि व पटकथा लेखक थे. अत्यंत सरल भाषा में लिखी उनकी कविताओं ने उन्हें फ्रांस का, विक्टर ह्यूगो के बाद का, सबसे लोकप्रिय कवि बना दिया. उनकी कविताएँ अक्सर पेरिस के जीवन या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जीवन के बारे में हैं. उनकी अनेक कविताएँ  स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं व प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गयी  हैं. उनकी लिखी पटकथाओं व नाटकों को भी खूब सराहा गया है. उनकी यह कविता उनके सबसे प्रसिद्द कविता संग्रह 'पारोल' से है. 
इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें