शनिवार, जून 18, 2011

दुःख के पहरेदारों की तरह...

सौरो, ओग्यूस्त रोदें 
दुःख के पहरेदारों की तरह
खिड़की के कांच से माथा टिकाए 
खुली हथेलियों के छोटे मैदान
और उनके गतिहीन उदासीन
दोहरे क्षितिजों में 
आकाश से भी अधिक रात लिए 

दुःख के पहरेदारों की तरह
खिड़की के कांच से माथा टिकाए
मैं तुम्हें ढूंढता हूँ 
इंतज़ार से कहीं आगे 
अपने आप से कहीं आगे 
और इतना चाहता हूँ मैं तुम्हें 
कि अब नहीं जानता 
हम दोनों में से 
कौन यहाँ नहीं है

--पॉल एलुआर








पॉल एलुआर फ़्रांसिसी कवि थे व स्यूरेअलीज्म के संस्थापकों में से एक थे. 16 साल की आयु में जब उन्हें टी.बी होने पर स्विटज़र्लैंड के एक सैनिटोरियम में स्वास्थ्य लाभ के लिए भेजा गया, उस समय उनका कविता में रुझान हुआ. उनका पहला कविता संकलन उनके युद्ध में हुए अनुभवों के बाद लिखा गया. उनकी लगभग 70 किताबे प्रकाशित हुई जिनमे, कविता संग्रह व उनके साहित्यिक और राजनैतिक विचार भी हैं.   
इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़                 

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