अ गर्ल इन अ वुड, विन्सेंट वान गोग A Girl In A Wood, Vincent Van Gogh |
एक दिन तुम जान गयी
कि आखिर तुम्हें करना क्या है
और निकल पड़ी बस.
आस-पास की आवाज़ें
चिल्ला-चिल्ला कर
देती रहीं बिन मांगी सलाहें,
पूरा घर थरथरा उठा,
पैरों की बेड़ियों ने फिर
खींचा एक बार,
हर आवाज़ चीख उठी--
मेरे जीवन का क्या?
पर तुम नहीं रुकी.
तुम जानती थी कि तुम्हें क्या करना है.
तेज़ हवा अपनी सख्त उँगलियों से
खोदती रही
गहरी उदासी में डूबी तुम्हारी जड़ें.
पहले ही बहुत देर हो चुकी थी
और तूफानी रात में रास्ता
पत्थरों और टूटी टहनियों से भरा था.
फिर धीरे-धीरे
सब आवाज़ें पीछे छूट गयीं.
बादलों की चादर के पीछे
तारे फिर जलने लगे
और चलने लगी तुम्हारे साथ
एक नयी आवाज़
जो तुम्हारी अपनी ही थी.
और तुम लम्बे डग भरती
दूर तक चलती गयी
बहुत दूर तक
ठाने हुए मन से
वह एक चीज़ करने
जिस पर तुम्हारा बस था
बस एक जीवन का उद्धार
-- मेरी ओलिवर
मेरी ओलिवर ( Mary Oliver )एक अमरीकी कव्यित्री हैं, जो 60 के दशक से कविताये कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. उनके 25 से अधिक कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं और बहुत सराहे गए हैं. उन्हें अमरीका के श्रेष्ठ सम्मान 'नेशनल बुक अवार्ड' व 'पुलित्ज़र प्राइज़' भी प्राप्त हो चुके हैं. उनकी कविताएँ प्रकृति की गुप-चुप गतिविधियों के बारे में हैं, जैसे वो धरती और आकाश के बीच खड़ीं सब देख रहीं हैं. और उनकी कविताओं में उनका अकेलेपन से प्यार, एक निरंतर आंतरिक एकालाप व स्त्री का प्रकृति से गहरा सम्बन्ध भी दिखाई देता है.
इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़