फायर पेंटिंग, ईव क्लाइन Fire painting, Yves Klein |
सन्देश जो दोस्तों ने फंसाये थे दरवाज़े में,
पारदर्शी लाल कागज़,
सरसराता है पतंगे के पंखों की तरह,
कर लेता है हवा से ब्याह.
किसी भी वर्ष का कितना कुछ होता है प्रज्वल्य,
सब्जियों की फहरिस्त, अधपकी कविताएँ.
दिनों की घुमावदार नारंगी लौ,
कितना कम है जो पत्थर है.
जब कुछ था और अचानक नहीं रहा,
एक अनुपस्थिति शोर करती है, उत्सव मनाती है,
छोड़ती है जगह.
मैं फिर से करती हूँ आरम्भ सबसे छोटी संख्या से.
त्वरित नृत्य, विफलताओं और पत्तियों के हेर-फेर,
वह सब जो मैं नहीं कर पायी, केवल वही
चिटकता है धधकती आग के बुझ जाने के बाद.
-- नाओमी शिहाब नाए
नाओमी शिहाब नाए ( Naomi Shihab Nye )एक फिलिस्तीनी-अमरीकी कवयित्री, गीतकार व उपन्यासकार हैं. वे बचपन से ही कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. फिलिस्तीनी पिता और अमरीकी माँ की बेटी, वे अपनी कविताओं में अलग-अलग संस्कृतियों की समानता-असमानता खोजती हैं. वे आम जीवन व सड़क पर चलते लोगों में कविता खोजती हैं. उनके 7 कविता संकलन और एक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक अवार्ड व सम्मान प्राप्त हुए हैं. उन्होंने अनेक कविता संग्रहों का सम्पादन भी किया है. यह कविता उनके संकलन "वर्डज़ अंडर द वर्डज़" से है.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़