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ल सोमई, ओग्यूस्त रोदें
Le Sommeil, Auguste Rodin |
मैंने तुम्हें सपनों में इतना देखा है
कि तुमने अपनी वास्तविकता खो दी है.
क्या अभी भी समय है इस सजीव देह को छूने का
और चूमने का इन होंठों से निकलती आवाज़ को
जो मुझे इतनी प्यारी है ?
मैंने तुम्हें सपनों में इतना देखा है कि मेरी बाहें,
जिन्हें मेरी छाती से चिपट-चिपट आदत हो गयी है
तुम्हारी छाया के आलिंगन की,
शायद तुम्हारी देह के आकार को लिपट न पायें.
और जो दिनों से और सालों से
मुझ पर शासन करती है, बसी है मुझ में,
उस को वास्तव में देख
मैं ही छाया बन जाऊँगा निस्संदेह.
आह! कैसा संतुलन है.
मैंने तुम्हें सपनों में इतना देखा है कि डरता हूँ
अब समय ही नहीं बचा है मेरे जागने के लिए.
मैं खड़े-खड़े सोता हूँ, मेरा बदन खुला हुआ है
जीवन के हर पक्ष को, प्यार को और तुम को,
आज एक तुम ही मेरे लिए मायने रखती हो.
तुम्हारा चेहरा और तुम्हारे होंठ
उतने भी नहीं छू पाऊंगा मैं,
जितने किसी पास से निकलने वाले के छू पाता.
मैंने तुम्हें सपनों में इतना देखा है, इतना चला हूँ,
इतनी बातें की हैं, सोया हूँ तुम्हारी छाया के साथ
कि मेरे पास शायद कुछ भी नहीं बचा है,
मगर फिर भी,
परछाइयों के बीच परछाई होना,
उस छाया से सौ गुना घनी छाया होना
जो ख़ुशी-ख़ुशी चलती है
और चलेगी,
तुम्हारे जीवन की धूपघड़ी पर.
-- रोबेर देज़्नोस
रोबेर देज़्नोस ( Robert Desnos )फ्रेंच स्यूरेअलीस्त कवि थे व स्यूरेअलीज़्म के स्थापकों में से एक थे. वे पेरिस में ही पले-बढे,17 वर्ष की आयु में उनकी पहली कविता प्रकाशित हुई और 22 वर्ष की आयु में पहली किताब. 'पेरिस-सोआर' नाम के अख़बार में वे साहित्यिक स्तम्भ लिखने लगे व आंद्रे ब्रेतों व पॉल एलुआर जैसे जाने-माने कवियों के साथ उतने-बैठने लगे. वे उस अतियथार्थवादी ग्रुप के महत्त्वपूर्ण सदस्य बन गए मगर जब वे लोग साम्यवाद के पक्ष में हो गए, देज़्नोस ने उनका साथ छोड़ दिया. वे स्तम्भ लिखते रहे. 26 वर्ष की आयु में उन्होंने एकांत पर एक छंद-बद्ध गीतकाव्य लिखा " द नाईट ऑफ़ लवलेस नाईट्स" जो बोदेलेर की याद दिलाता है . वे जैज़ संगीत व सिनेमा पर लेख लिखते रहे, उनका परिचय पिकासो और हेमिंग्वे जैसे लेखकों-चित्रकारों से होता रहा. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब जर्मनी ने पेरिस पर कब्ज़ा कर लिया था, वे फ़्रांसीसी प्रतिरोध ( Resistance) के लिए काम करते रहे, दूसरे नामों से लेख लिखते रहे और एक दिन गस्तापो द्वारा गिरफ्तार कर कंसेन्ट्रेशन कैंप में भेज दिए गए, जहाँ कैंप के रिहाई से एक हफ्ते पहले ही उनकी मृत्यु हो गयी. उनकी कैद के दौरान लिखी कविताएँ गलती से नष्ट हो गयी. उनके कई कविता संकलन प्रकाशित हुए व कई कविताओं का अनुवाद भी हुआ.
इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़