शुक्रवार, सितंबर 30, 2011

अमावस की रात

पार्सनेज गार्डन एट डस्क, विन्सेंट वान गोग
Parsonage Garden At Dusk, Vincent Van Gogh

जितना विश्वास मैं कर सकता हूँ 
तुम उससे भी अँधेरी हो अब 
जिस के पास मैं आया हूँ विवेक नहीं है 

वह अपने खंडन और खरे वादे लिए 
बल्कि है यह अनुपस्थिति
जो मैं समझ नहीं पा रहा 

जब सुनने को कुछ भी नहीं है 
तब भी कुछ सुन रहा हूँ 
जो अंधापन यहाँ था
उस में टटोलता हुआ 

अँधेरे में साथ चलने के बारे में सोचता हुआ.


-- डब्ल्यू एस मर्विन




W.S. Merwinडब्ल्यू एस मर्विन ( W S Merwin )अमरीकी कवि हैं व इन दिनों अमरीका के पोएट लॉरीअट भी हैं.उनकी कविताओं, अनुवादों व लेखों के 30 से अधिक संकलन प्रकाशित हो चुके हैं .उन्होंने दूसरी भाषाओँ के प्रमुख कवियों के संकलन, अंग्रेजी में खूब अनूदित किये हैं, व अपनी कविताओं का भी स्वयं ही दूसरी भाषाओँ में अनुवाद किया है.अपनी कविताओं के लिए उन्हें अन्य सम्मानों सहित पुलित्ज़र प्राइज़ भी मिल चुका है.वे अधिकतर बिना विराम आदि चिन्हों के मुक्त छंद में कविता लिखते हैं.यह कविता उनके संकलन 'द शैडो ऑफ़ सिरिअस ' से है.

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

बुधवार, सितंबर 28, 2011

चांदनी में दूर कहीं...

व्हाईट सेलबोट एट शातू , मोरीस द व्लामिंक
White Sailboat At Chatou, Maurice de Vlaminck

चांदनी में दूर कहीं 
नदी पर एक किश्ती 
चुपचाप तैरती हुई.
कौन-सा रहस्य खोलती है?

नहीं जानता मैं, मगर मेरे 
भीतर के जीव को अचानक 
अजीब-सा लगने लगता है,
और मैं सपने देखता हूँ 
बिना उन सपनों को देखे 
जो मैं देख रहा हूँ.

क्या है यह वेदना
जो घेर लेती है मुझे?
क्या है यह प्यार
जो मैं समझा नहीं पाता?
वह किश्ती है जो आगे बढ़ जाती है 
इस रात मैं जो यहीं रह जाती है.


-- फेर्नान्दो पेस्सोआ



 फेर्नान्दो पेस्सोआ ( Fernando Pessoa )20 वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के महानतम कवियों में उनकी गिनती होती है. यह कविता उन्होंने अपने ही नाम से लिखी थी, यह बताना ज़रूरी है क्योंकि अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने 72 झूठे नामों या हेट्रोनिम् की आड़ से सृजन किया, जिन में से तीन प्रमुख थे. और हैरानी की बात तो यह है की इन सभी हेट्रोनिम् या झूठे नामों की अपनी अलग जीवनी, दर्शन, स्वभाव, रूप-रंग व लेखन शैली थी. पेस्सोआ  के जीतेजी उनकी एक ही किताब प्रकाशित हुई. मगर उनकी मृत्यु के बाद, एक पुराने ट्रंक से उनके द्वारा लिखे 25000 से भी अधिक पन्ने  मिले, जो उन्होंने अपने अलग-अलग नामों से लिखे थे. पुर्तगाल की नैशनल लाइब्रेरी में इनके सम्पादन का काम आज भी जारी है. यह कविता उनके संकलन 'सोंगबुक 'से है.
इस कविता का मूल पोर्त्युगीज़ से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.

इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

सोमवार, सितंबर 26, 2011

क्षितिज

द रिवर, क्लौद मोने
The River, Claude Monet
आह यह क्षितिज मेरी साँसों को चुरा तो लेता है 
मगर उन्हें कहीं लेकर नहीं जाता --
इतने फैलाव में दम घुट जाता है मेरा !
मैं फिर सांस लेता हूँ, वो रहा क्षितिज फिर-से,
अपनी आँखें ढंकने के लिए  मैं कुछ ढूँढने लगता हूँ.

शायद रेत मुझे अधिक भाती -- 
एक परतों भरा जीवन 
नदी के कटीले किनारों के साथ-साथ.
मैं लिपटा रहता शर्मीली धारा के आँचल से, 
भँवर से, उथले पानियों और गड्ढों से.

हम गहरे सामंजस्य से काम करते 
एक पल के लिए, एक सदी के लिए.
मैंने उस तरह के तेज़ी से गिरते जलप्रपात बहुत चाहे हैं.
पानी में बहते लकड़ी के लट्ठों की छाल के भीतर 
कान लगाया होता मैंने और सुनी होती 
पेड़ के वलयों की 
बाहर की ओर चलते आने की आवाज़.


-- ओसिप मैंडलस्टैम



Osip Mandelstam ओसिप मैंडलस्टैम ( Osip Mandelstam )रूसी कवि व निबंधकार थे और विश्व साहित्य में भी उनकी गीतात्मक कविताओं का विशिष्ट स्थान है. वे यहूदी थे और उनका परिवार पोलिश मूल का था, मगर वे सेंट पीटर्सबर्ग में बड़े हुए. स्कूल के समय से ही वे कविता लिखने लगे थे. उन्होंने अपने समकालीन रूसी कवियों के साथ मिल कर 'एक्मेइज़म'  ( Acmeism ) की स्थापना की. 22 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित हुआ -- द स्टोन. जब उनकी कविताओं में रूसी क्रांति के दिग्भ्रमित होने का दुःख छलकने लगा, तो स्तालिन ने उन्हें निर्वासित कर दिया. उनके अनेक कविता व निबंध संग्रह प्रकाशित हुए व उनकी कविताओं का खूब अनुवाद भी किया गया है.
इस कविता का मूल रशियन से अंग्रेजी में अनुवाद क्लेरन्स ब्राउन व डब्ल्यू एस मर्विन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

शनिवार, सितंबर 24, 2011

देर रात तक क्यों जागते हो तुम ?

लुकिंग इनटू बेरिल पूल,
चाइल्ड हासम
Looking Into Beryl Pool,
Childe Hassam

सच में जानना चाहते हो तो बताता हूँ मैं :
याद है दो साल पहले का वह दिन जो तुमने गँवा दिया था 
पत्थरों वाले तालाब पर जहाँ बैठ कर तुम किसी जौहरी की तरह 
खेल रहे थे उन सभी पत्थरों से जो तुमने किनारे से चुराए थे ?
उन में से काफी तो कुछ नहीं बस स्याह थे
मगर कभी-कभी झलका देता था कोई एक वह रहस्यमय रंग 
जो अपनी पथरीली नींद में कहीं उसने कैद कर रखा था.
कौन-सा पत्थर रखना हैं यह तुम्हें इसी तरह पता चला था.

तो जिन में कुछ सम्भावना दिखाई देती हैं मुझे 
मैं दिन की वे नीरस-सी चीज़ें बटोरता हूँ 
जो मृत हैं मगर फिर भी जिन में है कोई आश्चर्यजनक बात 
जो मैं नहीं जानता, और मेरे पास मदद के लिए तालाब भी नहीं है--
तो मैं उन्हें देखता रहता हूँ देखता रहता हूँ जब तक 
कोई एक चीज़ मेरे आँखों में आईना ना बना दे  
फिर मैं उसे उजला करने के लिए आंसू से रंगता हूँ.
इसीलिए मैं देर रात तक जगता हूँ. 


-- डान पेटरसन


डान पेटरसन ( Don Paterson ) स्कॉटलैंड के कवि,लेखक  व संगीतकार हैं. वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ सेंट एंड्रूज़ में अंग्रेजी पढ़ाते हैं, लन्दन के प्रकाशक 'पिकाडोर' के लिए पोएट्री एडिटर हैं और एक बेहतरीन जैज़ गिटारिस्ट हैं . अपने पहले कविता संकलन 'निल निल' से ही उन्हें पहचाना जाने लगा व अवार्ड मिलने लगे. अपने संकलन ' गाडज़ गिफ्ट टू विमेन ' के लिए उन्हें टी एस एलीअट प्राइज़ प्राप्त हुआ. उनके एक और संकलन 'लैंडिंग लाईट ' को विटब्रेड पोएट्री अवार्ड व फिर से टी एस एलीअट प्राइज़ प्राप्त हुआ. उन्होंने दूसरी भाषाओँ से अंग्रेजी में बहुत अनुवाद भी किया है जिन में से सबसे उल्लेखनीय स्पेनिश कवि अंतोनियो मचादो व जर्मन कवि रिल्के की रचनाएँ हैं. उन्होंने कई कविता संकलनों का संपादन किया है, नाटक लिखे हैं व विशेष रूप से रेडियो नाटक लिखे हैं.


इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

गुरुवार, सितंबर 22, 2011

निगाहें

द विंडो, मार्क शगाल
The Window, Marc Chagall

इतने समय बाद अभी भी 
मुझे खोजना पड़ता है कभी-कभी 
"पाना" शब्द शब्दकोष में.
मैंने पाई उसकी गहरी आकृष्ट निगाहें.

मीठी बोलों की बारिश में एक सेम की बेल पनपती है.
बताओ क्या सोचती हो तुम? -- मैं सुन रहा हूँ.

कहानी ने अपने बीस पत्ते फड़फड़ा डाले.

                                ---

एक बार मेरी अध्यापिका ने 
मुझे हंसने का दंड दिया
एक ऊंची मेज़ पर बिठा दिया.
उन्होंने सोचा 
कि मुझे छांट के रख देंगी 
क्लास के बच्चों की निगाहें.
मगर वे तो कुछ और ही कह रही थीं.

हम भी हँसते अगर हमें आता हँसना.

मैंने अपनी आँखें खिड़की के बाहर 
आकाश की पूर्ण रेखा पर गड़ा दी.

वहीँ तो जा रही थी मैं.


-- नाओमी शिहाब नाए



                                                                                                                                                                                                                     
    

नाओमी शिहाब नाए एक फिलिस्तीनी-अमरीकी कवयित्री, गीतकार व उपन्यासकार हैं. वे बचपन से ही कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. फिलिस्तीनी पिता और अमरीकी माँ की बेटी, वे अपनी कविताओं में अलग-अलग संस्कृतियों की समानता-असमानता खोजती हैं. वे आम जीवन व सड़क पर चलते लोगों में कविता खोजती हैं. उनके 7 कविता संकलन और एक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक अवार्ड व सम्मान प्राप्त हुए हैं. उन्होंने अनेक कविता संग्रहों का सम्पादन भी किया है.

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

मंगलवार, सितंबर 20, 2011

मैंने तुम्हें सपनों में इतना देखा है

ल सोमई, ओग्यूस्त रोदें
Le Sommeil, Auguste Rodin
मैंने तुम्हें सपनों में इतना देखा है 
कि तुमने अपनी वास्तविकता खो दी है.
क्या अभी भी समय है इस सजीव देह को छूने का 
और चूमने का इन होंठों से निकलती आवाज़ को 
जो मुझे इतनी प्यारी है ?

मैंने तुम्हें सपनों में इतना देखा है कि मेरी बाहें,  
जिन्हें मेरी छाती से चिपट-चिपट आदत हो गयी है 
तुम्हारी छाया के आलिंगन की,  
शायद तुम्हारी देह के आकार को लिपट न पायें.
और जो दिनों से और सालों से 
मुझ पर शासन करती है, बसी है मुझ में,
उस को वास्तव में देख 
मैं ही छाया बन जाऊँगा निस्संदेह.
आह! कैसा संतुलन है.

मैंने तुम्हें सपनों में इतना देखा है कि डरता हूँ 
अब समय ही नहीं बचा है मेरे जागने के लिए.
मैं खड़े-खड़े सोता हूँ, मेरा बदन खुला हुआ है 
जीवन के हर पक्ष को, प्यार को और तुम को, 
 आज एक तुम ही मेरे लिए मायने रखती हो.
तुम्हारा चेहरा और तुम्हारे होंठ
उतने भी नहीं छू पाऊंगा मैं, 
जितने किसी पास से निकलने वाले के छू पाता. 

मैंने तुम्हें सपनों में इतना देखा है, इतना चला हूँ, 
इतनी बातें की हैं, सोया हूँ तुम्हारी छाया के साथ
कि मेरे पास शायद कुछ भी नहीं बचा है,
मगर फिर भी, 
परछाइयों के बीच परछाई होना, 
उस छाया से सौ गुना घनी छाया होना 
जो ख़ुशी-ख़ुशी चलती है
और चलेगी,
तुम्हारे जीवन की धूपघड़ी पर.



-- रोबेर देज़्नोस


रोबेर देज़्नोस ( Robert Desnos )फ्रेंच स्यूरेअलीस्त कवि थे व स्यूरेअलीज़्म के स्थापकों में से एक थे. वे पेरिस में ही पले-बढे,17 वर्ष की आयु में उनकी पहली कविता प्रकाशित हुई और 22 वर्ष की आयु में पहली किताब. 'पेरिस-सोआर' नाम के अख़बार में वे साहित्यिक स्तम्भ लिखने लगे व आंद्रे ब्रेतों व पॉल एलुआर जैसे जाने-माने कवियों के साथ उतने-बैठने लगे. वे उस अतियथार्थवादी ग्रुप के महत्त्वपूर्ण सदस्य बन गए मगर जब वे लोग साम्यवाद के पक्ष में हो गए, देज़्नोस ने उनका साथ छोड़ दिया. वे स्तम्भ लिखते रहे. 26 वर्ष की आयु में उन्होंने एकांत पर एक छंद-बद्ध गीतकाव्य लिखा " द नाईट ऑफ़ लवलेस नाईट्स" जो बोदेलेर की याद दिलाता है . वे जैज़ संगीत व सिनेमा पर लेख लिखते रहे, उनका परिचय पिकासो और हेमिंग्वे जैसे लेखकों-चित्रकारों से होता रहा. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब जर्मनी ने पेरिस पर कब्ज़ा कर लिया था, वे फ़्रांसीसी प्रतिरोध  ( Resistance) के लिए काम करते रहे, दूसरे नामों से लेख लिखते रहे और एक दिन गस्तापो द्वारा गिरफ्तार कर कंसेन्ट्रेशन कैंप में भेज दिए गए, जहाँ  कैंप के रिहाई से एक हफ्ते पहले ही उनकी मृत्यु हो गयी. उनकी कैद के दौरान लिखी कविताएँ गलती से नष्ट हो गयी. उनके कई कविता संकलन प्रकाशित हुए व कई कविताओं का अनुवाद भी हुआ.

इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

रविवार, सितंबर 18, 2011

अर्थ

पाइन ट्रीज़ अगेंस्ट अ रेड स्काए एंड सेटिंग सन,
विन्सेंट वान गोग
Pine Trees Against a Red Sky and Setting Sun,
Vincent Van Gogh

जब मैं मरूँगा, मैं देखूंगा दुनिया की गूढ़ परत.
पंछी, पर्वत, सूर्यास्त के परे, वह दूसरा किनारा.
अपने भेद खोलने को तैयार सच्चे अर्थ. 
जो असंगत था, संगत लगने लगेगा.
जो कभी समझ नहीं आया था, आने लगेगा समझ.
-- और अगर दुनिया की कोई गूढ़ परत न हुई तो? 
अगर डाल पर बैठा पंछी कोई संकेत नहीं,
बल्कि डाल पर बैठा पंछी ही हुआ तो? 
अगर रात और दिन
एक-दूसरे का पीछा अकारण ही करते हुए तो?
और इस धरती पर, 
धरती के सिवाय और कुछ भी न हुआ तो?
-- अगर ऐसा हुआ भी, 
तो भी रहेगा, नश्वर होंठों द्वारा जागृत शब्द,
एक अथक दूत, 
जो तारों के बीच,
घूमती आकाशगंगाओं के बीच,
भागता रहता है, भागता रहता है, 
और पुकारता है, विरोध करता है, चिल्लाता है.


-- चेस्वाफ़ मीवोश 




चेस्वाफ़ मीवोश (Czeslaw Milosz) पोलैंड के प्रसिद्द कवि, लेखक व अनुवादक थे. उनका जन्म लिथुएनिया में हुआ था और वे पांच भाषाएँ जानते थे -- पोलिश, लिथुएनिअन,रशियन, अंग्रेजी व फ्रेंच. द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात,1951 में उन्होंने पोलैंड छोड़ फ्रांस में आश्रय लिया, और 1970 में अमरीका चले गए. वहां वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया में पोलिश साहित्य के प्रोफ़ेसर रहे. उनके 40 से भी अधिक कविताओं व लेखों के संकलन प्रकाशित हुए हैं व कई भाषाओँ में अनूदित किये गए हैं. अन्य कई सम्मानों सहित उन्हें 1980 में नोबेल प्राइज़ भी मिल चुका है.
इस कविता का मूल पोलिश से अंग्रेजी में अनुवाद चेस्वाफ़ मीवोश और रोबर्ट हासा ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

शुक्रवार, सितंबर 16, 2011

दुनिया

सें यौं काप फर्रा, मार्क शगाल
Saint Jean Cap Ferrat, Marc Chagall

दुनिया के दूसरे सिरे से 
एक प्यार भरे प्याले की तरह, 
एक चषक की तरह,
तुम चाँद मुझे दे देते हो.
मैं तुम्हारी ओर 
सूरज लुढ़का देती हूँ.

दुनिया के दूसरे सिरे पर  
जब तुम उठ रहे होते हो 
मैं सोने जाती हूँ.
धरती पर फैले बीजों की तरह, 
तारों को छितरा दिया है तुमने 

इधर मेरी ओर.
पूरी की पूरी रात
तुम्हारे लिए भेजे हैं मैंने 
गुच्छे, गुलदस्ते बादलों के
दुनिया के दूसरे सिरे तक;


ताकि जहाँ भी तुम हो
मेरा प्यार छाया करे.
और तुम्हारा 
मैं नींद में करवट लूँ 
तो हो एक अध-खिला तारा.




-- कैरल एन डफ्फी



  कैरल एन डफ्फी ( Carol Ann Duffy )स्कॉट्लैंड की कवयित्री व नाटककार हैं. वे मैनचेस्टर मेट्रोपोलिटन युनिवेर्सिटी में समकालीन कविता की प्रोफ़ेसर हैं. 2009 में वे ब्रिटेन की पोएट लॉरीअट नियुक्त की गईं. वे पहली महिला व पहली स्कॉटिश पोएट लॉरीअट हैं. उनके स्वयं के कई कविता संकलन छ्प चुके हैं. उन्होंने कई कविता संकलनों को सम्पादित भी किया है. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक सम्मान व अवार्ड मिल चुके हैं. सरल भाषा में लिखी उनकी कविताएँ अत्यंत लोकप्रिय हैं व स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा भी हैं. यह कविता उनके 2005 में छपे संकलन ' रैप्चर ' से है, जिसे टी एस एलीअट प्राइज़ मिला था.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़  


बुधवार, सितंबर 14, 2011

भीगे-भीगे सितम्बर में

ओक, इवान शिशकिन
Oak, Ivan Shishkin

भीगे-भीगे सितम्बर में
जब पत्ते नीचे अंधेरों को छूने लगते हैं
मैं अपना माथा समुद्री शैवाल की गंध वाली
गीली रेत पर रख देता हूँ.
चुनने के सिवाय हम कर भी क्या सकते हैं?
मानव के लिए एक अकेला रास्ता
चुनाव का ही तो है.
फर्न के पास जीने के सिवाय कोई चारा नहीं;
इस अपराध के लिए उसे मिलते हैं
मिटटी पानी और रात.

हम दरवाज़ा बंद कर देते हैं.
" मेरा तुम पर कोई हक़ नहीं है. "
सांझ आती है.
" मैंने तुम से जो प्यार पाया है काफी है. "
हम जानते हैं कि हम दुनिया से अलग रह सकते हैं.
एक बतख़ होती है जो झुण्ड से अलग तैरती है.
ओक का पेड़
निर्जन पहाड़ी पर अकेला पत्ते निकालता है.

हमसे पहले ऐसा कर दिखाया है
स्त्रियों और पुरुषों ने.
साल में एक बार मैं तुम्हें मिलूँगा और तुम मुझे.
हम दो बीज होंगे पर बोये नहीं जायेंगे.
हम कमरे में रहते हैं दरवाज़ा बंद बत्ती बंद कर के.
मैं तुम्हारे साथ रोता हूँ बिना लाज बिना मान के.



--- रोबर्ट ब्लाए




 रोबर्ट ब्लाए ( Robert Bly ) अमरीकी कवि,लेखक व अनुवादक हैं. 36 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित हुआ, मगर उस से पहले साहित्य पढ़ते समय उन्हें फुलब्राईट स्कॉलरशिप मिला और वे नोर्वे जाकर वहां के कवियों की कविताओं का अनुवाद अंग्रेजी में करने लगे. वहीं पर वे दूसरी भाषाओँ के अच्छे कवियों से दो-चार हुए - नेरुदा, अंतोनियो मचादो, रूमी, हाफिज़, कबीर, मीराबाई इत्यादि. अमरीका में लोग इन कवियों को नहीं जानते थे. उनके अनेक कविता संग्रह प्रकाशित हुए और उन्होंने खूब अनुवाद भी किया है. अमरीका के वे लोकप्रिय कवि हैं और यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिनेसोटा में उनके लिखे 80,000 पन्नों की आर्काइव है, जो उनका लगभग पचास वर्षों का काम है.

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

सोमवार, सितंबर 12, 2011

अकेशा

ब्लोस्मिंग अकेशा ब्रान्चिज़, विन्सेंट वान गोग
Blossoming Acacia Branches, Vincent Van Gogh

कई साल पहले ऐसे ही घूमते-घूमते
फूलते अकेशा पेड़ों से भरी एक सड़क पर 
हर खबर रखने वाले एक दोस्त से 
पता चला था मुझे 
कि हाल ही में तुम्हारी शादी हो गई है.
मैंने उससे कहा कि सचमुच
मेरा इस बात से कोई लेना-देना नहीं है. 
मैंने तुम्हें कभी प्यार नहीं किया था
-- यह तुम मुझ से बेहतर जानती हो --
फिर भी जब कभी 
अकेशा के फूल खिलते हैं 
-- विश्वास कर पाओगी ? --
मुझे एकदम वैसा ही लगता है 
जैसा तब लगा था 
जब उन्होंने सीधा आघात किया था मुझ पर 
उस दिल तोड़ने वाली खबर के साथ   
कि तुम्हारी शादी किसी और से हो गयी है.


--  नीकानोर पार्रा



नीकानोर पार्रा ( Nicanor Parra ) न सिर्फ चिली के सब से लोकप्रिय कवि माने जाते हैं, बल्कि पूरे लातिनी अमरीका में उनका प्रभाव है, और स्पेनिश के महत्वपूर्ण कवियों में उन्हें गिना जाता है. वे स्वयं को विरोधी कवि ( antipoet ) कहते हैं क्योंकि वे कविता की सामान्य परम्पराओं का विरोध करते हैं. अक्सर कविता-पाठ के बाद वे कहा करते थे  -- मैं अपना कहा वापिस लेता हूँ. लातिन अमरीकी साहित्य की परिष्कृत भाषा छोड़ उन्होंने एक ठेठ  स्वर अपनाया. उनका पहला कविता संकलन "पोएम्ज़ एंड ऐंटीपोएम्ज़ " न केवल स्पेनिश कविता का प्रभावी संग्रह है बल्कि लातिन अमरीकी साहित्य का महत्त्वपूर्ण मीलपत्थर भी है.
उनकी कविताएँ ऐलन गिन्ज़बर्ग जैसे अमरीकी बीट कवियों की प्रेरणा बनी. वे कई बार नोबेल प्राइज़ के लिए नामित किए गए हैं. 2011 में उन्हें स्पेनिश भाषा एवं साहित्य का उच्चतम पुरुस्कार 'सेर्वौंत प्राइज़' प्राप्त हुआ. इस कविता का मूल स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद डेविड अंगर ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

शनिवार, सितंबर 10, 2011

कल रात मुझसे बारिश बोली

लैंडस्केप, पॉल गौगें
Landscape, Paul Gauguin

कल रात 
मुझसे 
बारिश
हौले-से बोली,

कितना आनंद है 
चपल बादल से इस तरह 
गिरते आने में,
धरती पर एक बार फिर 

नई तरह से 
उल्लासित होने में !
लोहे की महक लिए
यही कह रही थी वो,

गिरते-गिरते,
और फिर समुद्र के सपने की तरह 
टहनियों में
और नीचे घास में 

विलीन हो गयी.
फिर सब समाप्त हो गया.
आकाश साफ़ हो गया.
मैं एक पेड़ के नीचे

खड़ी थी.
वह पेड़ 
पुलकित पत्तों वाला पेड़ था,
और उस पल

मैं वही थी जो मैं हूँ,
और आकाश में तारे थे 
जो उस पल वही थे जो वे हैं 
जिस पल 

मेरे दाहिने हाथ ने 
मेरे बाएँ हाथ को पकड़ा हुआ था 
जिसने पेड़ को पकड़ा हुआ था 
जो तारों से और मंद-मंद 

बारिश से भरा हुआ था --
सोचो! सोचो!
उन लम्बी और आश्चर्यजनक 
यात्राओं के बारे में 
जो अभी बाकी हैं हमारी. 



-- मेरी ओलिवर 



Mary Oliver  मेरी ओलिवर ( Mary Oliver )एक अमरीकी कव्यित्री हैं, जो 60 के दशक से कविताये    कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. उनके 25 से अधिक कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं और बहुत सराहे गए हैं. उन्हें अमरीका के श्रेष्ठ सम्मान 'नेशनल बुक अवार्ड' व 'पुलित्ज़र प्राइज़' भी प्राप्त हो चुके हैं. उनकी कविताएँ प्रकृति की गुप-चुप गतिविधियों के बारे में हैं, जैसे वो धरती और आकाश के बीच खड़ीं सब देख रहीं हैं. और  उनकी कविताओं में उनका अकेलेपन  से प्यार, एक निरंतर आंतरिक एकालाप व स्त्री का प्रकृति से गहरा सम्बन्ध भी दिखाई देता है.

इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

गुरुवार, सितंबर 08, 2011

शोकगीत

मैन, ड्राइंग और राइटिंग,
विन्सेंट वान गोग
Man, Drawing Or Writing,
Vincent Van Gogh

उस ने कलम नीचे रख दी.
वह बिना हिले वहां पड़ी है.
एक रिक्तता में 
पड़ी है वह बिना हिले.
उस ने कलम नीचे रख दी.

कितना कुछ है 
जो न लिखा जा सकता है न ही भीतर रखा जा सकता है!
कहीं बहुत दूर कुछ घटित हो रहा है 
जिस के कारण उसका शरीर तना हुआ है 
जबकि उसका विचित्र बैग एक दिल की तरह धड़क रहा है. 

बाहर, आधा बीत चुका वसंत.
पत्तों के घने गुच्छों से एक सीटी की आवाज़ -- लोग या पंछी?
और फूलते हुए चेरी के पेड़ घर लौटते भरी-भरकम ट्रकों को 
थपथपाते हैं.

कितने सप्ताह बीत जाते हैं.
धीरे-धीरे रात आती है.
दुनिया की भेजी नन्ही पीली टेलीग्रामों की तरह
पतंगे खिड़की के शीशे पर आ बैठते हैं.


-- तोमास त्रांसत्रोमर  



                               
तोमास त्रांसत्रोमर  ( Tomas Tranströmer )स्वीडन के लेखक, कवि व अनुवादक हैं जिनकी कविताएँ न केवल स्वीडन में, बल्कि दुनिया भर में सराही गयीं हैं. उन्होंने 13 वर्ष की आयु से ही लिखना शुरू कर दिया था. उनके 12 से अधिक  कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं व उनकी कविताएँ लगभग 50 भाषाओँ में अनूदित की गईं हैं. उन्हें अपने लेखन के लिए अनेक सम्मान प्राप्त हुए है जिनमे इंटरनैशनल पोएट्री फोरम का स्वीडिश अवार्ड भी शामिल है. वे नोबेल प्राइज़ के लिए नामित भी किये गए हैं. लेखन के इलावा वे जाने-माने मनोवैज्ञानिक भी थे, जो कार्य उन्हें स्ट्रोक होने के बाद छोड़ना पड़ा. उनका एक हाथ अभी भी नहीं चलता है, मगर दूसरे हाथ से वे अब भी लिखते हैं. यह कविता उनके अंग्रेजी में अनूदित संकलन ' द हाफ -फिनिश्ड हेवन ' से है.

इस कविता का मूल स्वीडिश से अंग्रेजी में अनुवाद रोबेर्ट ब्लाए ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

मंगलवार, सितंबर 06, 2011

मैं तुम से प्यार करता हूँ

क्लाक विद ब्लू विन्ग्ज़, मार्क शगाल
Clock With Blue Wings, Marc Chagall



मैं हर दिन तुम से तीस साल प्यार करता हूँ
जब मैं अपने जीवन के साथ
दौड़ता हूँ यह दौड़
तुम्हारे लिए यह समय बहुत कम लगता है 
पल भागते जाते हैं 
और उनका पीछा करते 
ना जाने क्यों लगता है मुझे
कि मैं कुछ स्थापित कर रहा हूँ 
धरती की कोख में कुछ बो रहा हूँ 
ना जाने क्यों लगता है मुझे 
कि जब मैं तुमसे प्यार करता हूँ 
मानो अपने ही समय को परिवर्तित कर रहा हूँ.



-- निज़ार क़ब्बानी


 निज़ार क़ब्बानी ( Nizar Qabbani )सिरिया से हैं व अरबी भाषा के कवियों में उनका विशिष्ट स्थान है. उनकी सीधी सहज कविताएँ अधिकतर प्यार के बारे में हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या वे क्रन्तिकारी हैं, तो उन्होंने कहा -- अरबी दुनिया में प्यार नज़रबंद है, मैं उसे आज़ाद करना चाहता हूँ. उन्होंने 16 वर्ष की आयु से कविताएँ लिखनी शुरू कर दी थीं, और उनके 50 से अधिक कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. उनकी कविताओं को कई प्रसिद्ध अरबी गायकों ने गया है, जिन में मिस्र की बेहतरीन गायिका उम्म कुल्थुम भी हैं, जिनके गीत सुनने के लिए लोग उमड़ पड़ते थे.
इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद लेना जाय्युसी और नाओमी शिहाब नाए ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

रविवार, सितंबर 04, 2011

आकाश पर बादल छाये हुए हैं...

स्प्रिंग. व्हाइट लाइलैक्स, आइसाक लेवितान
Spring. White Lilacs, Isaac Levitan 

आकाश पर बादल छाये हुए हैं. 
गुनगुनी हवा कमीज़ के नीचे से 
अन्दर घुस आती है.
एक चितकबरी बिल्ली 
धीरे-धीरे सांझ की ओर बढ़ रही है.
सांझ धीरे-धीरे 
चितकबरी बिल्ली की ओर बढ़ रही है.
एक पड़ोसी की बीवी 
तार पर से कपड़े उतार रही है.
वह मुझे नहीं दिख रही,
मुझे केवल एक-एक करके 
गायब होते कपड़े दिखाई दे रहे हैं.
मुझे दिख रहे हैं सफ़ेद लाइलैक.
नर्गिस और कारनेशन.
और दूर नदी के दूसरे तट पर 
जगमगाती रोशनियाँ.
एक टेप रिकार्डर. एक रेडियो. 
एक फुदकी चिड़िया.
और बहुत बहुत सारी बुलबुलें.


-- यान काप्लिन्स्की

   

Author: Estonian Literary Magazine





यान काप्लिन्स्की ( Jaan Kaplinski )एस्टोनिया के कवि, भाषाविद व दार्शनिक हैं व यूरोप के प्रमुख कवियों में गिने जाते हैं. वे अपने स्वतंत्र विचारों व वैश्विक सरोकारों के लिए जाने जाते हैं. उनके कई कविता-संग्रह, कहानियां, लेख व निबंध प्रकाशित हो चुके हैं. उन्होंने कई भाषाओँ से कई भाषाओँ में अनुवाद किये है व उनके स्वयं के लेखन का भी कई भाषाओँ में अनुवाद हुआ है. यह कविता उनके संकलन 'ईवनिंग ब्रिनग्ज़ एवरीथिंग बैक ' से है.
इस कविता का मूल एस्टोनियन से अंग्रेजी में अनुवाद फियोना सैम्प्सन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

शुक्रवार, सितंबर 02, 2011

मेरा प्यार दुःख नहीं है

द सोंग ऑफ़ लव,
जोरजो द कीरीको
The Song Of Love,
Giorgio de Chirico

" हर प्यार एक दुःख है " --
       या जैसा कि कुछ प्यार में पागल लोगों ने कहा है 
                                         " प्यार में सुख का होना एक भ्रम है "


मैं कुछ लेने के लिए नहीं इस तरह से प्यार करता --
मेरा प्यार कोई मुखौटा या झण्डा नहीं है 
जैसे एक झरना बह निकलता है 
जैसे सूरज जगमगाता है 
               मैं प्यार करता हूँ :           एक बाढ़             बिना उद्देश्य


मेरा प्यार भ्रम नहीं है
मेरा प्यार दुःख नहीं है       




-- अदुनिस




Adonis, Griffin Poetry Prize 2011 International Shortlist अली अहमद सईद अस्बार ( Ali Ahmed Said Asbar ), जो 'अदुनिस' ( Adonis )के नाम से लिखते हैं, सिरिया के प्रसिद्ध कवि व लेखक हैं. वे आधुनिक अरबी कविता के पथप्रदर्शक हैं, जिन्होंने पुरानी मान्यताओं से विद्रोह कर कविता के अपने ही नियम बनाये हैं. अब तक अरबी में उनकी 20से अधिक किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. उनके अनेक कविता संग्रह अंग्रेजी में अनूदित किये जा चुके हैं. अभी हाल-फिलहाल में, अगस्त माह के आखिरी सप्ताह में ही उन्हें 2011 के  गेटे ( Goethe) पुरुस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें जल्द ही नोबेल प्राइज़ भी मिलेगा , साहित्य जगत में इसकी उम्मीद व अटकलें खूब हैं, वे कई बार नामित भी किये गए हैं.
इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद खालेद मत्तावा ने किया है.
इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़