रविवार, मई 04, 2014

भीतर से एक सी

क्राउचिंग बेगर, पाब्लो पिकासो
Crouching Beggar, Pablo Picasso
प्रणयोत्सव के लिए 
तुम्हारे घर की ओर आते-आते 
सड़क के मोड़ पर मिली मुझे 
एक बूढ़ी भिखारिन.

उसका हाथ पकड़, 
चूमा मैंने उसका कोमल गाल,
हम बातें करते रहे, वह थी 
भीतर से बिल्कुल मेरे जैसी,
एक ही स्वभाव की,
जो मैं जल्द ही भाँप गई थी,
जैसे जानता है एक कुत्ता गंध 
दूसरे कुत्ते की. 

मैंने उसे कुछ पैसे दिए,
उसे छोड़ कर जाना कठिन था मेरे लिए.
जिससे गहरी निकटता हो कोई ऐसा, 
आखिर, हरेक को चाहिए.

और,
फिर मुझे पता न रहा
कि तुम्हारे घर की ओर आखिर मैं जा क्यों रही थी.





-- अन्ना श्विर 





 अन्ना श्विर ( Anna Swir) पोलिश कवयित्री थीं. उनका जन्म वॉरसॉ में हुआ. उनके पिता एक चित्रकार थे. 1930 के दशक में उनकी कविताएं प्रकाशित होने लगीं. द्वितीय विश्व युद्ध के समय, पोलैंड के नाज़ी अधिग्रहण के दौरान वे पोलिश रेज़िस्टेंस मूवमेंट से जुड़ गईं और वॉरसॉ विद्रोह के वक्त उन्होंने सैन्य नर्स का कार्य किया. इस बीच वे भूमिगत प्रकाशनों के लिए लेखन भी रहीं. चेस्वाफ मीवोश लिखते हैं कि वे उन दिनों उनके संपर्क में थे. उन्होंने अन्ना श्विर के एक काव्य संकलन का अनुवाद भी किया है. उनकी कविताओं में युद्ध के अनुभवों का गहरा असर दिखाई देता है. 1974 में उनका 'बिल्डिंग द बैरीकेड' नमक काव्य संकलन प्रकाशित हुआ जो उस समय में देखी-भोगी पीड़ा एवं यातना का दस्तावेज़ है. वे स्त्री के शरीर और उम्र के साथ उसमें  बदलावों के बारे में भी बहुत स्पष्ट कविताएँ लिखती थीं. यह कविता उनके 1996 में प्रकाशित हुए संग्रह 'टॉकिंग टू माय बॉडी' से है.

इस कविता का मूल पोलिश से अंग्रेजी में अनुवाद चेस्वाफ मीवोश एवं लेऑनर्ड नेथन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 



गुरुवार, मई 01, 2014

मौसम बीता जाए

द फैक्ट्री एट आसनिऐर, विनसेंट वान गोग
The Factory at Asnieres, Vincent van Gogh
ठीक मिल के दरवाज़े के सामने 
ठिठकते हैं अचानक मज़दूर के कदम
सुहावना मौसम खींचता है पीछे से
उसकी कमीज और
जब वह मुड़ कर देखता है
गोल-गोल और लाल सूरज को 
मुस्कुराते हुए अपने धूसर आकाश में 
एक आँख दबाकर 
बड़े अपनेपन में पूछ बैठता है  
कहो कामरेड सूरज 
क्या तुम्हें नहीं लगता 
है ये बहुत बड़ा घोटाला 
कि ऐसा सुहावना बासंती दिन 
मिल के मालिक को मिला?


-- याक प्रेवेर 



 
याक प्रेवेर  (Jacques Prévert)फ़्रांसिसी कवि व पटकथा लेखक थे. अत्यंत सरल भाषा में लिखी उनकी कविताओं ने उन्हें फ्रांस का, विक्टर ह्यूगो के बाद का, सबसे लोकप्रिय कवि बना दिया. उनकी कविताएँ अक्सर पेरिस के जीवन या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जीवन के बारे में हैं. उनकी अनेक कविताएँ  स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं व प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गयी  हैं. उनकी लिखी पटकथाओं व नाटकों को भी खूब सराहा गया है. उनकी यह कविता उनके सबसे प्रसिद्द कविता संग्रह 'पारोल' से है. 
इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़