क्या चाँद पर भी,
अधिकतर अँधेरा नहीं होता ?
और क्या
अधूरा नहीं लगता
सफ़ेद पन्ना
अक्षरों के धब्बों बिना?
जब ईश्वर ने कहा 'रोशनी हो!',
अँधेरे को बहिष्कृत तो नहीं किया.
बल्कि रचे उसने
आबनूस और कौवे
और तुम्हारी बाईं गाल
पर वह छोटा-सा तिल.
या तुम पूछना यह चाहते हो कि
"तुम अक्सर उदास क्यों रहती हो?"
पूछो चाँद से.
पूछो वह किन बातों का साक्षी है.
-- लिंडा पास्तान
लिंडा पास्तान (Linda Pastan) यहूदी मूल की अमरीकी कवयित्री हैं. वे अक्सर छोटी कवितायेँ लिखती हैं जिन के विषय गृहस्थ जीवन, मातृत्व, स्त्री विमर्श से लेकर मृत्यु, खोना, खोने का भय और जीवन एवं रिश्तों की क्षणभंगुरता हैं. उनकी कविताओं के 15 संकलन प्रकाशित हो चुके हैं जिनके लिए उन्हें कई सम्मान भी प्राप्त हुए हैं. 1991-1995 तक वे मेरीलैंड की पोएट लॉरीएट रह चुकी हैं. उनके हाल में प्रकाशित काव्य संकलन हैं -- इंसोम्निया, ट्रेवलिंग लाइट और ा डॉग रनज़ थ्रू इट।
इस कविता का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़