द ग्रे लवर्स, मार्क शगाल The Grey Lovers, Marc Chagall |
आखिर तुम पहुँचीं कैसे मुझ तक?
मेरी माँ ठीक-से नहीं जानती अल्बानियाई भाषा,
वो लिखती है सादे-से पत्र, बिना विराम और अर्धविराम के,
अपनी युवावस्था में मेरे पिता घूमे थे समन्दरों पर,
मगर तुम आई हो,
चलती हुई मेरे पत्थरों के शहर की पटरी पर,
और संकोच के साथ खटखटाया है दरवाज़ा मेरे तिमंज़ले मकान,
नंबर 16 का.
जीवन में ऐसा बहुत कुछ है जिससे मैंने प्रेम किया है, घृणा की है,
कितनी ही मुश्किलों के लिए मैं रहा हूँ एक 'खुला शहर',
मगर फिर भी...
एक जवान आदमी की तरह
जो अपनी रात की आवारगी से थका-टूटा हुआ
देर रात घर लौटता है,
वैसे ही मैं आया हूँ, वापिस तुम्हारे पास,
एक और रंगरली के बाद और टूटा-फूटा-सा.
और तुम,
मेरे धोखे को न लेते हुए मेरे ख़िलाफ़,
प्यार-से बाल सहलाती हो,
मेरा आखिरी पड़ाव,
कविता.
-- इस्माइल कदारे
इस्माइल कदारे ( Ismail Kadare )अल्बेनिया के कवि व लेखक हैं. अब वे अपने उपन्यासों के लिए अधिक जाने जाते हैं मगर पहले अपनी कविताओं से ही पहचाने जाने लगे थे. 2005 में मैन-बुकर का इंटरनैशनल लिटरेचर प्राइज़ सर्वप्रथम उन्हें ही प्राप्त हुआ था. वे अल्बेनिया के इलावा फ़्रांस में काफी समय व्यतीत करते हैं, और उनकी कविताएँ व उपन्यास फ्रेंच में खूब अनूदित हुए हैं. यहाँ तक कि अंग्रेजी में उनके लेखन का अनुवाद अधिकतर फ्रेंच से किया गया है न की अल्बेनियन से. 40 देशों में उनके किताबें प्रकाशित हुई हैं व 30 भाषाओँ में उनके लेखन का अनुवाद हुआ है. बुकर प्राइज़ सहित उन्हें कई पुरुस्कार प्राप्त हुए हैं व नोबेल प्राइज़ के लिए वे कई बार नामित किये जा चुके हैं.
इस कविता का मूल अल्बेनियन से अंग्रेजी में अनुवाद राबर्ट एलसी ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़