बुधवार, अक्तूबर 12, 2011

अगर कुछ चाहने को है...

ग्रीन लवर्स, मार्क शगाल
Green Lovers, Marc Chagall

अगर कुछ चाहने को है, 
तो होगा कुछ पछताने को.  
अगर कुछ पछताने को है, 
तो होगा कुछ याद करने को.
अगर कुछ याद करने को है, 
तो पछताने को कुछ नहीं था.
अगर पछताने को कुछ नहीं था,
तो चाहने को कुछ नहीं था.


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हौले-से एक कोमल-सी सतह पर
मेरी सबसे अच्छी पंक्तियाँ लिख जाती हैं :
मेरी जिह्वा की नोक से तुम्हारे तालू पर,
छोटे-छोटे अक्षरों में तुम्हारी छाती पर,
तुम्हारे पेट पर...
मगर, प्रिय, मैंने उन्हें लिखा 
बहुत हलके से !
क्या मैं अपने होंठों से मिटा दूँ
तुम्हारा विस्मयादिबोधक चिन्ह ?


-- वेरा पाव्लोवा


वेरा पाव्लोवा ( Vera Pavlova ) रूस की सबसे प्रसिद्द समकालीन कवयित्री हैं. उनका जन्म मॉस्कोमें हुआ था. उन्होंने संगीत की शिक्षा ग्रहण की व संगीत के इतिहास विषय में विशेषज्ञता प्राप्त की. कुछ समय बाद ही उनकी कविताएँ प्रकाशित हुई और उन्होंने अपने साहित्यिक जीवन का आरम्भ किया. उनके 14 कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं व रूस में उनकी किताबें खूब बिकती हैं. उन्होंने चार ओपेरा लिबेरेतोज़ के लिए संगीत लिखा है व कुछ बोल भी. उनकी कविताएँ 18भाषाओँ में अनूदित की गयी हैं. यह तीन कविताएँ उनके अंग्रेजी में अनूदित संकलन 'देयर इज समथिंग टू डिज़ायर' से हैं.
इन कविताओं का मूल रशियन से अंग्रेजी में अनुवाद स्टीवन सेमूर ने किया है.

इन कविताओं का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़