गुरुवार, दिसंबर 29, 2011

तुम जो रहस्यवादी हो...

द किंगफिशर, विन्सेंट वान गोग
The Kingfisher, Vincent van Gogh 

तुम जो रहस्यवादी हो, हर चीज़ में ढूंढते हो मायने.
हर चीज़ के हैं तुम्हारे लिए अस्पष्ट अभिप्राय.
जो कुछ भी देखते हो तुम, उसमें है कुछ छिपा हुआ.
जो कुछ भी देखते हो तुम, देखते हो, कुछ और देखने के लिए.

मैं, जिसके पास हैं केवल देखने के लिए आँखें,
सब चीज़ों में देखता हूँ मायनों की अनुपस्थिति.
और यह देख कर, खुद से प्यार करता हूँ मैं,
क्योंकि 
एक चीज़ होने का अर्थ है, कुछ भी न होना.
एक चीज़ होने का अर्थ है  होना वश में किसी व्याख्या के.


--  फेर्नान्दो पेस्सोआ ( अल्बेर्तो काइरो )



 फेर्नान्दो पेस्सोआ ( Fernando Pessoa )20 वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के महानतम कवियों में उनकी गिनती होती है. यह कविता उन्होंने अल्बेर्तो काइरो ( Alberto Caeiro )के झूठे नाम से लिखी थी. अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने 72 झूठे नाम या हेट्रोनिम् की आड़ से सृजन किया, जिन में से तीन प्रमुख थे. और हैरानी की बात तो ये है की इन सभी हेट्रोनिम् या झूठे नामों की अपनी अलग जीवनी, स्वभाव, दर्शन, रूप-रंग व लेखन शैली थी. पेस्सोआ के जीतेजी उनकी एक ही किताब प्रकाशित हुई. मगर उनकी मृत्यु के बाद, एक पुराने ट्रंक से उनके द्वारा लिखे 25000 से भी अधिक पन्ने मिले, जो उन्होंने अपने अलग-अलग नामों से लिखे थे. पुर्तगाल की नैशनल लाइब्ररी में उन पन्नों की एडिटिंग का काम आज तक जारी है. यह कविता उनके संकलन 'द कीपर ऑफ़ शीप ' से है.
इस कविता का मूल पुर्तगाली से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़