शुक्रवार, दिसंबर 09, 2011

ध्यान

सेलिंग ऑफ़ ग्लाऊचेस्टर , विन्ज्लो होमर
Sailing Off Gloucester, Winslow Homer

क्या मेरा मन सो रहा है?
सपनों की मधु-कोशिकाएँ
क्या शांत हो गई हैं,
वह चक्का जो चलाता है
दिमाग की लाल चक्की 
धीमा, और धीमा हो कर 
रुक गया है, हर खांचा 
अब केवल छाया से भरा है?

नहीं, मेरा मन जागृत है,
पूर्णतया जागृत;
वह ताकता है क्षितिज
खोजता है वह श्वेत पाल, 
सुनता है
एक पुरातन मौन की 
तटरेखा के किनारे किनारे.


-- डान पेटरसन


डान पेटरसन ( Don Paterson ) स्कॉटलैंड के कवि,लेखक  व संगीतकार हैं. वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ सेंट एंड्रूज़ में अंग्रेजी पढ़ाते हैं, लन्दन के प्रकाशक 'पिकाडोर' के लिए पोएट्री एडिटर हैं और एक बेहतरीन जैज़ गिटारिस्ट हैं . अपने पहले कविता संकलन 'निल निल' से ही उन्हें पहचाना जाने लगा व अवार्ड मिलने लगे. अपने संकलन ' गाडज़ गिफ्ट टू विमेन ' के लिए उन्हें टी एस एलीअट प्राइज़ प्राप्त हुआ. उनके एक और संकलन 'लैंडिंग लाईट ' को विटब्रेड पोएट्री अवार्ड व फिर से टी एस एलीअट प्राइज़ प्राप्त हुआ. उन्होंने दूसरी भाषाओँ से अंग्रेजी में बहुत अनुवाद भी किया है जिन में से सबसे उल्लेखनीय स्पेनिश कवि अंतोनियो मचादो व जर्मन कवि रिल्के की रचनाएँ हैं. उन्होंने कई कविता संकलनों का संपादन किया है, नाटक लिखे हैं व विशेष रूप से रेडियो नाटक लिखे हैं. यह कविता उनके संकलन 'आईज ' से है, जिसे  स्पेनिश कवि अंतोनियो मचादो की कविताओं का अनुवाद भी कहा जा सकता है, या कहा जा सकता है की ये कविताएँ, उनकी कविताओं से प्रेरित हैं.

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़