नाईट, मिकोलाय ज़ुर्लानिस Night, Mikalojus Čiurlionis |
अपने हाथों में पकड़ते हैं हम अपने हाथों की छाया.
रात भली है --अपनी छाया पकड़े हमें दूसरे नहीं देख पाते.
हम रात का समर्थन करते हैं. हम स्वयं को देखते हैं.
ऐसे हम दूसरों के बारे में बेहतर सोच पाते हैं.
समुद्र अभी भी खोजता है हमारी आँखें और हम वहां नहीं हैं.
एक युवती अपनी छाती में छुपा लेती है अपना प्यार
और हम मुस्कुराते हुए आँखें फेर कर कहीं दूर देखते हैं.
शायद ऊपर कहीं, तारों की रोशनी में, एक झरोखा खुल जाता है
जो देखता है समुद्र की ओर, जैतून के पेड़ों और जले हुए घरों की ओर --
पितृ-पक्ष के कांच में हम तितली को चक्कर काटते हुए सुनते हैं,
और मछुआरे की बेटी अपनी चक्की में पीसती है शांति.
--- ज्यानिस रीत्ज़ोज़
इस कविता का मूल ग्रीक से अंग्रेजी में अनुवाद रे डेलविन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़