बुधवार, मई 01, 2013

अलसाई सुबह


बहुत कठोर होती है 

उबले अंडे को स्टील के काउंटर पर हलके-से ठोक कर तोड़ने की आवाज़

यह आवाज़ बहुत कठोर होती है  
जब बजती है 
भूखे आदमी की यादों में
और वह चेहरा भी डरावना होता है
भूखे आदमी का चेहरा
जब सुबह के छह बजे
एक बड़ी दुकान के शीशे में
वह मैला-सा चेहरा
अपने आप को देखता है
मगर वह खुद को कहाँ देख रहा है
उस बड़ी दुकान के शीशे में
उसे अपने चेहरे से कोई लगाव नहीं
वह उसके बारे में सोच भी नहीं रहा  
वह सपना देख रहा है
कल्पना कर रहा है
कुछ और की
उसे शक्ल नज़र आ रही है
उस सब की
जो वह खट्टी चटनी के साथ खा सकता है
और वह धीरे से अपना जबड़ा हिलाता है
धीरे से
और दांत पीसता है धीरे से
क्योंकि जिस बकरे के सिर की वह कल्पना कर रहा है
उसे दाम देकर खरीदती है दुनिया
वह दुनिया के खिलाफ कुछ नहीं कर सकता
और वह अपनी उंगलियों पर गिनता है एक दो तीन
एक दो तीन
तीन दिनों से उसने कुछ नहीं खाया है
बार-बार तीन दिन गिनने का क्या फायदा
ऐसा कब तक चलेगा
तीन दिन
तीन रात
बिना खाए चला है
और दुकान के इन शीशों के उस तरफ
बोतलों में और डिब्बों में बंद
ये खाने-पीने का सामान
डिब्बों की सुरक्षा करता यह शीशा
शीशे की रखवाली करती यह पुलिस
पुलिस को बचाता उसका डर
ज़रा से सामान को बचाने के लिए कितनी दीवारें
थोडा आगे एक कैफे है
क्रीम वाली कॉफ़ी और गर्म-गर्म क्रोआस्सों
आदमी डगमगाता है
और उसके मन पर छाई है
शब्दों की
एक धुंध

लफ़्ज़ों का कोहरा
मछली
उबला अंडा क्रीम वाली कॉफ़ी
रम मिली कॉफ़ी
क्रीम वाली कॉफ़ी
क्रीम वाली कॉफ़ी
खून मिली अपराध वाली कॉफ़ी
दिनदहाड़े गला काटा गया
मोहल्ले के इज्ज़तदार आदमी का
और लफंगे ने हत्यारे ने दो फ्रेंक
चुराए उस से
यानि एक रम मिली कॉफ़ी
...बचे पैंसठ पाई
दो पीस मक्खन लगी ब्रेड
और पचीस पाई टिप के लिए  
बहुत कठोर होती है
उबले अंडे को स्टील के काउंटर पर 
हलके-से ठोक कर तोड़ने की आवाज़
यह आवाज़ बहुत कठोर होती है  
जब बजती है भूखे आदमी की यादों में



--
याक प्रेवेर 




 याक प्रेवेर  ( Jacques Prévert )फ़्रांसिसी कवि व पटकथा लेखक थे. अत्यंत सरल भाषा में लिखी उनकी कविताओं ने उन्हें फ्रांस का, विक्टर ह्यूगो के बाद का, सबसे लोकप्रिय कवि बना दिया. उनकी कविताएँ अक्सर पेरिस के जीवन या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जीवन के बारे में हैं. उनकी अनेक कविताएँ  स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं व प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गयी  हैं. उनकी लिखी पटकथाओं व नाटकों को भी खूब सराहा गया है. उनकी यह कविता उनके सबसे प्रसिद्द कविता संग्रह 'पारोल' से है. 
इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़